सितंबर 2019 में भी दुर्घटनाग्रस्त हुआ था मिग-21, बाल-बाल बचे थे पायलट
25 सितंबर 2019 को महाराजपुरा वायुसेना स्टेशन से उड़ान भरने के बाद 30 मिनट बाद मिग-21 चौधरी का पुरा गांव में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे के बाद वायुसेना की ओर से कोर्ट आफ इंक्वायरी के आदेश जारी हुए थे।
ग्वालियर, जेएनएन। भिंड जिले में स्थित चौधरी का पुरा गांव में 25 सितंबर 2019 को भी मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। हादसा खेत में हुआ था, इसलिए जनहानि नहीं हुई। मिग-21 लड़ाकू विमान की सबसे उन्नत तकनीक बायसन विमान है, जो बुधवार को ग्वालियर एयरबेस पर दुर्घटनाग्रस्त हुआ। हादसे के फौरन बाद आग लगने की सूचना ग्वालियर फायर बिग्रेड को दी गई थी, लेकिन बाद में गाडि़यों को लौटा दिया गया। इससे साफ है कि विमान में हादसे के दौरान बड़ी आग भी लगी होगी। मिग-21 उड़ता ताबूत के नाम से बदनाम भी है।
उड़ान भरने के 30 मिनट बाद हुआ दुर्घटनाग्रस्त
25 सितंबर 2019 को महाराजपुरा वायुसेना स्टेशन से उड़ान भरने के बाद 30 मिनट बाद मिग-21 चौधरी का पुरा गांव में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे के बाद वायुसेना की ओर से कोर्ट आफ इंक्वायरी के आदेश जारी हुए थे। हादसे में बालाकोट एयर स्ट्राइक में शामिल रहे ग्रुप कैप्टन यशपाल सिंह नेगी व स्क्वाड्रन लीडर शिवानंद घायल हो गए थे। दोनों को हेलिकाप्टर से एयर लिफ्ट कर मुरार में सेना के अस्पताल में भिजवाया गया था।
मिग-21 श्रेणी का उन्नत लड़ाकू विमान है बायसन
- मिग-21 बायसन आधुनिक हथियारों से लैस मिग-21 सीरीज का सबसे उन्नत लड़ाकू विमान है। भारतीय वायुसेना ने पहली बार वर्ष 1960 में मिग-21 विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया था।
- मिग-21 बायसन में एक बड़ा सर्च एंड ट्रैक रडार लगा है, यह रडार नियंत्रित मिसाइल को संचालित करता है और रडार गाइडेड मिसाइलों का रास्ता तय करता है।
- इसमें बीवीआर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो आखों से ओझल मिसाइलों के खिलाफ सामान्य, लेकिन घातक लड़ाकू विमान की युद्ध क्षमता के काबिल बनाता है।
- इन लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल किए गए इलेक्ट्रानिक और इसकी काकपिट उन्नत किस्म की होती है। मिग-21 बायसन, ब्राजील के अपेक्षाकृत नए एफ-5 इएम फाइटर प्लेन के समान है।
- मिग-21 बायसन सुपरसोनिक लडाकू जेट विमान है जो लंबाई में 15.76 मीटर और चौड़ाई में 5.15 मीटर है। बिना हथियारों के ये करीब 5200 किलोग्राम को होता है, जबकि असलहा लोड होने के बाद करीब आठ हजार किलोग्राम तक के वजन के साथ उड़ान भर सकता है। सोवियत रूस के मिकोयान-गुरेविच डिजाइन ब्यूरो ने इसे 1959 में बनाना शुरू किया था। 1961 में भारत ने मिग विमानों को रूस से खरीदने का फैसला किया था। बाद में और बेहतर बनाने की प्रक्रिया चलती रही और इसी क्रम में मिग को अपग्रेड कर मिग-बाइसन सेना में शामिल किया गया।
- यह हल्का सिंगल पायलट लड़ाकू विमान है और 18 हजार मीटर तक की ऊंचाई पर उड़ सकता है। इसकी रफ्तार अधिकतम 2230 किलोमीटर प्रति घंटा तक है। ये आसमान से आसमान में मार करने वाली मिसाइलों के साथ-साथ बम ले जा सकने में सक्षम है।
- वर्ष 1965 और 1971 में हुए भारत पाक युद्ध में मिग-21 विमानों का इस्तेमाल हुआ था। वर्ष 1971 में भारतीय मिग ने चेंगडु एफ विमान (ये भी मिग का ही एक और वेरियंट था जिसे चीन ने बनाया था) को गिराया था। उड़ता ताबूत के नाम से बदनाम है मिग-21 इंडियन एयरफोर्स में उड़ते ताबूत के नाम से बदनाम मिग-21 काफी पुराना हो चुका है। इसे तेजस से बदलने की मांग भी की जा चुकी है। मिग-21 क्रैश होने का यह पहला हादसा नहीं बल्कि ऐसे कई हादसे हो चुके हैं।