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पंजाब में बंधुआ मजदूरों का मुद्दा किसानों से जोड़ने पर गृह मंत्रालय ने जताई आपत्ति, जानें क्‍या कहा

केंद्र ने पंजाब सरकार को सूचित किया है कि उत्तर प्रदेश और बिहार के 58 मानसिक रूप से दिव्यांग राज्य के सीमावर्ती जिलों में बंधुआ मजदूर के तौर पर काम करते पाए गए। पंजाब सरकार से इस पर उचित कार्रवाई करने को कहा गया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 03 Apr 2021 05:26 PM (IST)Updated: Sat, 03 Apr 2021 09:59 PM (IST)
उत्तर प्रदेश बिहार के 58 मानसिक रूप से दिव्यांग पंजाब में बंधुआ मजदूर के तौर पर काम करते पाए गए।

नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब के सीमावर्ती जिलों में बीते दो सालों में मुक्त कराए गए बंधुआ मजदूरों के मामले को किसानों से जोड़े जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। मंत्रालय ने कहा कि मीडिया के कुछ हिस्सों में इस खबर को तोड़-मरोड़ कर और भ्रामक तरीके से छापकर राज्य के किसानों पर आरोप लगाए जाने की बात कही गई है। जबकि यह बात एकदम निराधार है।

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दरअसल गृह मंत्रालय ने गत 17 सितंबर को पंजाब सरकार और केंद्रीय श्रम एव रोजगार मंत्रालय को भेजे गए पत्र में कहा था कि सीमा सुरक्षा बल ने 2019 व 2020 में पंजाब के सीमावर्ती गांवों से उप्र और बिहार के 58 बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया। मानसिक रूप से कमजोर इन मजदूरों को मानव तस्कर ज्यादा पगार का लालच देकर पंजाब लाए थे। मंत्रालय के पत्र में यह भी कहा गया कि इन बंधुआ मजदूरों से ज्यादा काम लेने के लिए मादक पदार्थ दिए जाते थे। 

इस पत्र के आधार पर समाचार पत्रों में खबरें छपने के बाद पंजाब सरकार और किसान संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करना शुरू कर दिया। उनकी तरफ से कहा गया कि यह पंजाब के किसानों को बदनाम करने का प्रयास है।

मामला तूल पकड़ने पर गृह मंत्रालय ने शनिवार को स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि मीडिया में इस आशय से आई खबरें बढ़ा चढ़ाकर और गलत तरीके से छापी गई। यह सामाजिक आर्थिक समस्या पंजाब के सीमावर्ती सिर्फ चार जिलों की है। मंत्रालय ने कहा कि कानून व्यवस्था को लेकर यह एक नियमित पत्र था। इससे किसी तरह का कोई अनावश्यक निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए।

मंत्रालय ने कहा कि कुछ मीडिया संस्थानों ने अपनी खबरों में न केवल यह लिखा कि गृह मंत्रालय ने पंजाब के किसानों पर गंभीर आरोप लगाए बल्कि इस पत्र को कृषि कानून विरोधी आंदोलन से भी जोड़ दिया। यह बात एकदम गलत है।

मंत्रालय ने कहा कि पत्र में इस समस्या के लिए स्पष्ट रूप से मानव तस्कर गिरोहों को ही जिम्मेदार ठहराया गया है। किसानों पर कोई आरोप नहीं है। ये तस्कर ही गरीब व मानसिक रूप से कमजोर लोगों को लालच देकर लाते हैं और मादक पदार्थ देकर उन्हें अमानवीय परिस्थितियों में ज्यादा काम करने को मजबूर करते हैं।


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