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किसानों के लिए खुशखबरी, मानसून सीजन में होगी सामान्य बारिश; लहलहायेगी खेती

भारत में इस साल मानसून सामान्‍य रहेगा। हालांकि मौसम का अनुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट ने इस माह के शुरुआत में मानसून के सामान्य से नीचे रहने का अनुमान लगाया था।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 04:12 PM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2019 08:24 PM (IST)
किसानों के लिए खुशखबरी, मानसून सीजन में होगी सामान्य बारिश; लहलहायेगी खेती
किसानों के लिए खुशखबरी, मानसून सीजन में होगी सामान्य बारिश; लहलहायेगी खेती

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चालू मानसून सीजन में सामान्य बारिश का अनुमान है, जो कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाले भारत के किसानों के लिए बेहतर साबित होगा। खेती लहलहायेगी और देश की वित्तीय सेहत भी सुधरेगी। वर्ष 2019 का मानसून अल नीनो के प्रभाव के खतरे से बाहर रहेगा। मौसम विभाग ने सोमवार को चालू वर्ष में दक्षिण-पश्चिम मानसून का पहला पूर्वानुमान जारी किया है।

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पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉक्टर एम. राजीवन और मौसम विभाग के महानिदेशक डाक्टर केजे रमेश ने कहा कि मानसून के दौरान जून से सितंबर के तक बारिश लगभग सामान्य रहने का अनुमान है। दीर्घावधि बारिश के औसत का 96 फीसद बरसात होने की संभावना है। उन्होंने मानसून पर अल नीनो की आशंका को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि अल नीनो की स्थितियां कमजोर रहेंगी। मानसून के आखिरी दो महीनों में बहुत अच्छी बारिश का अनुमान है। इस दौरान अल नीनो की तीब्रता के कम रहने के आसार हैं।

मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि इस बार मानसून सीजन में बारिश का वितरण बहुत अच्छा रहने वाला है, जो खेती के लिहाज से बहुत ही अच्छा रहेगा। देश की 50 फीसद खेती असिंचित है, जो पूरी तरह बरसात पर आधारित है। देश की अर्थव्यवस्था कृषि की हिस्सेदारी 15 फीसद है। मानसून की बारिश से देश की खेती के प्रभावित होने का सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। खरीफ सीजन में प्रमुख फसलें चावल, गन्ना, मक्का, कपास और सोयाबीन की खेती होती है।

मानसून का दूसरा पूर्वानुमान जून के पहले सप्ताह में जारी किया जाएगा, जो काफी विस्तृत और सटीक होगा। देश में होने वाली कुल बारिश का 70 फीसद हिस्सा मानसून सीजन में होती है। इसकी शुरुआत मई के अंतिम सप्ताह में होती है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि वैश्विक स्तर पर अल नीनो जैसी स्थितियों का अध्ययन गहन रुप से किया जाता है। प्रशांत व हिंद महासागर की सतह के तापमान पर लगातार निगरानी की जा रही है।

वर्ष 2014 और 2015 में इसी अल नीनो के प्रभाव के चलते भारत में सूखे जैसी स्थितियां पैदा हो गई थीं। लेकिन वर्ष 2016 में जून से सितंबर के बीच मानसून की अच्छी बारिश हुई। मौसम वैज्ञानिकों को अल नीनो के विपरीत प्रभाव की कोई संभावना नहीं दिखती है। इसके पहले मौसम का पूर्वानुमान जारी करने वाली एक प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट ने जून से सितंबर के बीच होने वाली मानसून की बारिश पर अल नीनो का प्रभाव का हवाला देकर कम बारिश का अनुमान व्यक्त किया था।


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