भगोड़े उद्योगपति मेहुल चोकसी ने क्यों छोड़ी भारतीय नागरिकता, जानें
मेहुल चोकसी ने गुयाना में भारतीय उच्चायोग को भारतीय नागरिकता छोड़ने का संदेश देने के साथ ही अपना पासपोर्ट भी जमा कर दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकारी क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को अरबों करोड़ रुपये का चूना लगा कर विदेश फरार उद्योगपति मेहुल चोकसी ने भारतीय नागरिकता भी छोड़ दी है। भारत छोड़ने के बाद एंटीगुआ की नागरिकता हासिल कर चुके मेहुल चोकसी ने दुनिया में कर चोरी करने वालों का सैरगाह समझे जाने वाले एंटीगुआ की नागरिकता ले रखी है।
प्राप्त सूचनाओं के मुताबिक उसने गुयाना में भारतीय उच्चायोग को भारतीय नागरिकता छोड़ने का संदेश देने के साथ ही अपना पासपोर्ट भी जमा कर दिया है। चोकसी की इस चालाकी से उसके प्रत्यर्पण को लेकर चल रही कोशिशों पर थोड़ा असर पड़ने के आसार हैं लेकिन विदेश मंत्रालय मानता है कि इस कदम से भले ही कुछ देरी हो जाए लेकिन मेहुल चोकसी को प्रत्यर्पित कर लाने में निश्चित तौर पर सफलता मिलेगी।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक जब भी कोई भारतीय नागरिक किसी दूसरे देश की नागरिकता लेता है तो उसे भारतीय नागरिकता को छोड़ना पड़ता है। चोकसी के प्रत्यर्पण को लेकर भारत और एंटीगुआ के बीच पहले से ही बातचीत जारी है। इस बारे में जो भी सूचनाएं प्रशासनिक स्तर पर मांगी गई है उसे उपलब्ध करा दिया गया है।
साथ ही हमारे समक्ष क्रिस्टियन मिशेल का उदाहरण सामने है जिसे भारत उसकी ब्रिटिश नागरिकता के बावजूद भारत प्रत्यर्पित करने में सफल रहा है। जहां तक चोकसी के प्रत्यर्पण का सवाल है तो उसकी राह में सबसे बड़ी अड़चन भारत के साथ एंटीगुआ का कोई सीधा प्रत्यर्पण संधि का नहीं होना है। लेकिन दोनो देश राष्ट्रमंडल के सदस्य है और राष्ट्रमंडल देशों के बीच एक समझौता है जिसमें आर्थिक धोखाधड़ी से जुड़े अपराधियों को एक दूसरे को सौंपने की व्यवस्था है। भारत इसी व्यवस्था के तहत एंटीगुआ सरकार से चोकसी के मामले में बात कर रहा है।
भारत सरकार के दावे के बावजूद जानकार मान रहे हैं कि चोकसी ने प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को लंबित करने के उद्देश्य से ही चोकसी ने यह कदम उठाया है। फरवरी, 2018 में चोकसी और उसके संबंधी नीरव मोदी की तरफ से पीएनबी को 13,500 करोड़ रुपये का चूना लगाने का मामला सामने आया था।
दोनों के विदेश भागने के बाद इस मामले का खुलासा हुआ था। भारतीय जांच एजेंसियों ने दोनों की परिसंपत्तियों और उनके बैंकिंग खाते को जब्त कर रखा रखा है। इनको वापस लाने का अंतरराष्ट्रीय अभियान चलाया गया है लेकिन इसमें बहुत खास सफलता मिलती अभी नहीं दिख रही है।