चुनाव में राजनीतिक दल उठाते हैं जेंडर का मुद्दा, हकीकत कुछ अौर है
मेघालय में जेंडर गैप का संतुलन सही नहीं है। यहां निर्णय लेने के मोर्चे पर महिलाएं काफी पीछे हैं।
शिलॉंग (एजेंसी)। निर्णय लेने के मोर्चे पर महिलाओं के मामले में अभी भी मेघालय पीछे है। मेघालय विधानसभा चुनाव में कुल 374 उम्मीदवारों में से महज 33 महिलाएं हैं। जब भाजपा राष्ट्रीय महिला मोर्चा की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने पिछले साल राज्य का दौरा किया था तब उन्होंने कहा था महाराष्ट्र और हरियाणा की तरह पार्टी को अधिक महिला उम्मीदवारों को शामिल करने की कोशिश करनी होगी।
मेघालय की राजनीति में महिलाओं के बारे में पूछे जाने पर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष शिबुन लिंगदोह ने कहा, ‘पार्टी के तौर पर हम महिलाओं के आरक्षण का समर्थन करते हैं।
अपने कैंपेन के दौरान कांग्रेस ने भी ‘जेंडर’ मुद्दे को उठाया था। कांग्रेस ने महिलाओं को हतोत्साहित करने के लिए संघ-भाजपा पर हमला किया था। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कांग्रेस को चुनाव में पुरुषों व महिलाओं की संख्या के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है।
राहुल ने कहा कि संघ की विचारधारा महिलाओं को ताकत देने की नहीं है, बल्कि संघ का उद्देश्य महिलाओं को कमजोर करना है। राहुल ने कहा, संघ में महिलाओं की कोई जगह नहीं है। आरएसएस में कभी किसी महिला को महत्वपूर्ण पद पर नहीं देखा होगा। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस में सबसे खास तौर से इस बात का संतुलन रखा गया है कि महिलाओं और पुरुषों की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं आए। उन्होंने कहा, ’मैं मेघालय की महिलाओं को आमंत्रित करना चाहूंगा कि वो पार्टी में शामिल हों, ताकि हमारी पार्टी में अधिक से अधिक महिलाएं चुनी जा सकें और उन्हें मौका मिल सके।‘
हालांकि मेघालय में मतदाता सूची में पंजीकृत मतदाताओं के मामले में महिलाओं ने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है। राज्य में 50.4 फीसद महिला मतदाता हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) एफ आर खारकोंगर ने बताया कि मतदाता सूची में 18,30,104 मतदाताओं के नाम हैं, जिनमें से 9,23,848 महिलाएं हैं।