प्रशांत महासागर में मालाबार सैन्य अभ्यास का आगाज, भारत, जापान और अमेरिकी नौसेना शामिल
चीन मानता है कि मालाबार अभ्यास के तहत तीन देश उसके खिलाफ सैन्य लामबंदी कर रहे हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारत-अमेरिका और जापान के बीच होने वाले मालाबार सैन्य अभ्यास की शुरूआत जापान के ससेबो शहर के समीप पश्चिमी प्रशांत महासागर में हो गई है। पूर्वी चीन सागर के समीप होने वाले इस त्रिपक्षीय अभ्यास पर चीन के सामरिक हलकों की विशेष निगाह है।
जापान के समुद्री क्षेत्र में हो रहे इस युद्धाभ्यास में तीनों ही देश अपनी सामरिक और सैन्य साझेदारी का संयुक्त प्रदर्शन करेंगे। इस त्रिपक्षीय नौसैनिक अभ्यास से आपसी सहयोग को मजबूती तो मिलेगी ही साथ ही साझा मूल्यों और सिद्धांतों के आधार पर आपसी तालमेल को बढ़ावा भी मिलेगा। यह युद्धाभ्यास पनडुब्बी नाशक युद्ध पर जोर देगा।
बड़ा रणनीतिक कदम
दुनिया की सबसे बड़ी ब्लू वाटर नेवी और दो बड़ी नौ-सेनाओं के बीच यह अभ्यास अपने आप में बड़ा रणनीतिक कदम भी दिखाई देता है। लगातार हिंद महासागर में बढ़ती मुश्किलें, चीन और पाक जैसे पड़ोसियों से लगातार हो रहे विवाद के बीच नौसेना को लगातार सक्रिय रखने की चुनौतियों में ऐसे अभ्यास काफी उपयोगी साबित हो सकते हैं।
चीन को संदेश देने की कोशिश
असल में मालाबार नौसैनिक अभ्यास की सामरिक हलकों में विशेष अहमियत मानी जाती है। चीन मानता है कि मालाबार अभ्यास के तहत तीन देश उसके खिलाफ सैन्य लामबंदी कर रहे हैं। वहीं इस अभ्यास के जरिये भारतीय नौसेना यह सामरिक संदेश देने की कोशिश करेगी कि वह केवल हिंद महासागर के इलाके तक ही अपने को सीमित नहीं रखना चाहती है बल्कि दक्षिण चीन सागर के पार प्रशांत महासागर तक पहुंचने की भी उसकी क्षमता है।
टोही व लड़ाकू विमान भी ले रहे भाग
इस साझा अभ्यास में तीनों देशों की नौ-सेनाओं के अग्रणी युद्धपोत और नौसैनिक टोही व लड़ाकू विमान भाग ले रहे है। मालाबार-2019 के इस त्रिपक्षीय नौसैनिक अभ्यास में भारतीय नौसेना अपने आधुनिकतम स्वदेशी युद्धपोत गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आइएनएस सहयाद्री और पनडुब्बी नाशक पोत कार्वेट आइएनएस किलटन के अलावा लंबी दूरी तक उड़ान भरने वाले समुद्र टोही विमान पी-8-आइ को भी उतार रही है।
वायु क्षेत्रों में जटिल सामुद्रिक ऑपरेशन शामिल
वहीं अमेरिकी नौसेना ने लास एंजेल्स वर्ग की हमलावर पनडुब्बी यू एस एस मैककैम्बेल और टोही विमान पी-8-ए को उतारा है। इसके अलावा जापान ने भी समुद्री आत्मरक्षा बल के नाम से ज्ञात अपने इजुमो वर्ग के हेलीकाप्टर, विध्वंसक पोत जे एस कागा और गाइडेड मिसाइल, जे एस समीदारे और पी-1 लंबी दूरी के समुद्र टोही विमान को अभ्यास में उतारा है। इस अभ्यास में सतह, उप-सतह और वायु क्षेत्रों में जटिल सामुद्रिक ऑपरेशन शामिल होंगे तथा पनडुब्बी-रोधी युद्ध, विमान-रोधी और पनडुब्बी-रोधी फायरिंग, मैरीटाइम इन्टर्डिक्शन ऑपरेशन्स (एमआईओ) पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
गौरतलब है कि इस तरह के क्षेत्रों में युद्धाभ्यास करने से नौसेना को प्रायोगिक तौर पर लड़ाई में आने वाली दिक्कतों का अंदाजा हो पाता है। 'रियल टाइम अटैक स्ट्रैटजी' में भी नौसेना को फायदा होता है। नौ-सैनिकों को वास्तविक अनुभव मिलता है जिसका फायदा वो युद्ध की स्थिति में उठा पाते हैं, साथ ही नौसेना को वैश्विक स्तर पर भी खुद की स्थिति का पता चलता है। इस तरह की एक्सरसाइज का लक्ष्य कई बार शक्ति प्रदर्शन भी होता है। ऐसा कर एक देश दूसरे देश को ताकत का अहसास करा कर डर पैदा करना चाहता है।