ओमिक्रोन पर भी असरदार होगी डीआरडीओ की 2-डीजी दवा
डीआरडीओ के चीफ साइंटिस्ट डा. सुधीर चांदना बताते हैं कि कोविड की दूसरी लहर में 2-डीजी कई मरीजों की जान बचा चुकी है। अब ओमिक्रोन पर भी यह उसी प्रकार कार्य करेगी। तीसरी लहर में माइल्ड मरीजों पर इसके क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति मिल गई है।
हिसार (वैभव शर्मा)। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा कोरोना की स्वदेशी दवा 2-डियोक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) ओमिक्रोन वैरिएंट पर भी असरदार साबित होगी। यह दवा शरीर में वायरस के ग्रोथ को रोकने का काम करती है। यही कारण है कि कोरोना के अन्य वैरिएंट पर भी यह जीवन रक्षक बनने का काम करेगी।
डीआरडीओ के चीफ साइंटिस्ट डा. सुधीर चांदना बताते हैं कि कोविड की दूसरी लहर में 2-डीजी कई मरीजों की जान बचा चुकी है। अब ओमिक्रोन पर भी यह उसी प्रकार कार्य करेगी। तीसरी लहर में माइल्ड मरीजों पर इसके क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति मिल गई है। दवा की तकनीक का अधिकार डीआरडीओ के पास है। लां¨चग के समय डीआरडीओ ने डा. रेड्डी लैब को यह तकनीक ट्रांसफर की थी। अब 12 और कंपनियों ने इसके लिए आवेदन किया है, जिनमें से पांच कंपनियों को ड्रग कंट्रोलर ने मार्के¨टग की अनुमति दे दी है। इस दवा को देशभर में मुहैया कराया जा रहा है।
डीआरडीओ डाटा कर रहा तैयार
डा. सुधीर चांदना बताते हैं कि 2-डीजी दवा को लेकर मिले फीडबैक को एकत्र किया जा रहा है ताकि आने वाले समय में डाटा का प्रयोग अन्य शोध कार्यो में किया जा सके।
ऐसे कार्य करती है 2-डीजी
यह दवा एक सैशे में पाउडर के रूप में आती है, जिसे पानी में घोलकर लिया जाता है। यह कोरोना वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में जमा होती है और वायरल संश्लेषण और ऊर्जा उत्पादन को रोककर वायरस को शरीर में बढ़ने से रोकती है। वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में जाना इस दवा को सबसे बेजोड़ बनाता है। दरअसल, यह दवा ग्लूकोज का एक सब्सि्टट्यूट है। कोरोना वायरस अपनी एनर्जी के लिए मरीज के शरीर से ग्लूकोज लेता है, मगर ग्लूकोज के धोखे में वह इस दवा का इस्तेमाल करने लगता है जिससे वायरस को ऊर्जा मिलना बंद हो जाती है और उनका वायरल ¨सथेसिस बंद होने लगता है। इस तरह नए वायरस का बनना बंद हो जाता है और साथ ही बाकी वायरस भी मरने लगते हैं।