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Video : करतारपुर साहिब का प्रबंधन सिखों से छीनने पर भारत सख्‍त, पाकिस्‍तानी राजनयिक को लगाई तगड़ी फटकार

पाकिस्‍तान ने गुरु नानक देव जी के पवित्र स्थल करतारपुर साहिब का प्रबंधन सिखों से छीन लिया है। इस पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भी इस पर आपत्ति जताई है। विदेश मंत्रालय ने इस मामले में पाकिस्‍तानी राजनयिक को तलब किया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 05:39 PM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 08:41 PM (IST)
Video : करतारपुर साहिब का प्रबंधन सिखों से छीनने पर भारत सख्‍त, पाकिस्‍तानी राजनयिक को लगाई तगड़ी फटकार
करतारपुर साहिब का प्रबंधन सिखों से छीनने पर केंद्र ने पाकिस्‍तानी राजनयिक को तलब किया है।

नई दिल्‍ली, जेएनएन/एएनआइ। पाकिस्‍तान की इमरान खान सरकार अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रही है। पाकिस्‍तान ने गुरु नानक देव जी के पवित्र स्थल करतारपुर साहिब का प्रबंधन सिखों से छीन लिया है। पाकिस्‍तान के इस कदम पर देशभर के सिख समुदाय में भारी आक्रोश है। वहीं केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भी इस पर कड़ी नाराजगी जताई है। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने इस मामले में पाकिस्‍तानी राजनयिक को तलब कर तगड़ी फटकार लगाई है... 

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता अनुराग श्रीवास्‍तव ने कहा कि हमने पाकिस्‍तानी राजनयिक को तलब करके इस मसले पर अपनी नाराजगी जताई है। पाकिस्तान का सरकार का फैसला पूरी तरह से एकतरफा है और यह काफी निंदनीय है। यह धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर पाकिस्तान सरकार के दावों की भी कलई खोलता है। हमने पाकिस्‍तान की कार्रवाई का कड़ा विरोध किया है और इस फैसले को पलटने को कहा है। हमने पाकिस्‍तान को दो-टूक कह दिया है कि इमरान खान की सरकार का यह फैसला करतारपुर कॉरिडोर की आत्‍मा को चोट पहुंचाने वाला है।  

सूत्रों की मानें तो भारत ने स्पष्ट तौर पर बता दिया है कि पाकिस्तान की तरफ से करतारपुर गुरुद्वारे में परोक्ष तौर पर दखलअंदाजी करने को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और प्रबंधन संबंधी फैसले को बदलना ही होगा। पाकिस्तान की तरफ से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि पाकिस्‍तान के इस कदम से इस पवित्र सिख तीर्थ स्थल की पारंपरिक सिख रीति नीति के तौर पर देखभाल को लेकर आशंका पैदा हो गई है।

बता दें कि पाकिस्तान सरकार के इस संदेहास्पद फैसले का शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति विरोध कर चुकी है। सिख संगठनों ने केंद्र सरकार से भी हस्तक्षेप करने को कहा था। भारत करतारपुर गुरुद्वारा के संबंध में पाकिस्तान सरकार के रवैये से हमेशा से संशकित रहा है और पाकिस्तान की तरफ से कई बार इस तरह के कदम भी उठाये गये हैं। पिछले वर्ष इमरान खान सरकार में रेल मंत्री शेख राशिद ने यह बयान दिया था कि करतारपुर से भारत को हम बड़ा घाव देंगे। 

करतारपुर गुरुद्वारे के उद्घाटन समारोह में पाकिस्तान सरकार की तरफ से कई खालिस्तान समर्थक लोगों को ब्रिटेन व कनाडा से आमंत्रित किया था। जून, 2020 में जब पूरी दुनिया कोविड से लड़ रही थी तो पाकिस्तान सरकार ने अचानक ही करतारपुर कारीडोर को खोलने का ऐलान कर दिया था। पूर्व में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी करतारपुर कारीडोर खोलने को पाकिस्तान की साजिश करार दिया था।

भारत ने गुरुवार को करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के प्रबंधन को सिख समुदाय से छीनने पर इमरान खान सरकार के फैसले को निंदनीय बताया था। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है। इस कदम से आक्रोशित सिख समुदाय ने सरकार को दिए प्रतिवेदन में पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से गुरुद्वारा प्रबंधन एवं रखरखाव का काम एक गैर-सिख निकाय को सौंपने पर नाराजगी जताई थी।  

सिख समुदाय ने प्रबंधन एवं रखरखाव का काम गैर-सिख निकाय इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड को सौंपने पर चिंता जताया है।  विदेश मंत्रालय का कहना है कि पाकिस्तान द्वारा गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के प्रबंधन एवं रखरखाव का काम गैर-सिख निकाय को सौंपने का एकतरफा फैसला अत्यधिक निंदनीय है। यह कदम करतारपुर साहिब गलियारे और सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ भी है।

विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि इस तरह की कार्रवाइयां न केवल पाकिस्तान की इमरान खान के नेतृत्‍व वाली सरकार के साथ साथ उसके धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों और कल्याण के संरक्षण के बड़े बड़े दावों की पोल खोलती है। पाकिस्तान की सरकार को जल्‍द से सिखों को पवित्र गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के मामलों के प्रबंधन के अधिकार उन्‍हें दोबारा सौंप देना चाहिए। 

उल्‍लेखनीय है कि भारत और पाकिस्‍तान ने पिछले साल नवंबर में गुरुद्वारा करतारपुर साहिब से भारत के गुरदासपुर में डेरा बाबा साहिब तक गलियारा खोलकर दोनों देशों के सिख समुदाय के लोगों को जोड़ने का ऐतिहासिक कदम उठाया था। बता दें कि चार किलोमीटर लंबा करतारपुर गलियारा पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक और पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब को आपस में जोड़ता है। 


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