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जाधव के मामले को अन्य से जोड़ने पर भारत ने जताई आपत्ति, कहा- पाक सरकार के दबाव में वकील ने हाईकोर्ट में दिया जवाब

पाकिस्तान मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय उच्चायोग के वकील शाहनवाज नून ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट में कहा भारतीय उप उच्चायुक्त गौरव अहलूवालिया कुलभूषण जाधव के लिए वकील की नियुक्ति के मामले में भारत का पक्ष रखना चाहते हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 06:20 PM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 11:33 PM (IST)
जाधव के मामले को अन्य से जोड़ने पर भारत ने जताई आपत्ति, कहा- पाक सरकार के दबाव में वकील ने हाईकोर्ट में दिया जवाब
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव

नई दिल्ली, प्रेट्र। पाकिस्तानी जेल में बंद पूर्व भारतीय नौसेना के अधिकारी कुलभूषण जाधव के मामले को एक अन्य मामले से जोड़ने की पाकिस्तान की कोशिश पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है। इस अन्य मामले में भारतीय कैदी ने अपनी सजा पूरी कर ली है और अब वह भारत भेजे जाने की प्रक्रिया का इंतजार कर रहा है।

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पाकिस्तान मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय उच्चायोग के वकील शाहनवाज नून ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट में कहा, भारतीय उप उच्चायुक्त गौरव अहलूवालिया कुलभूषण जाधव के लिए वकील की नियुक्ति के मामले में भारत का पक्ष रखना चाहते हैं। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि नून ने कोर्ट में यह बात पाकिस्तानी सरकार के दबाव में कही है। नून को यह बात कहने के लिए उच्चायोग ने अधिकृत नहीं किया था। नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, जाधव के मामले को पाकिस्तान अन्य मामले से जोड़ने की कोशिश कर रहा है।

अन्य मामले के बारे में जानकारी देते हुए श्रीवास्तव ने बताया कि भारतीय उच्चायोग ने वकील नून को सजा पूरी कर चुके लेकिन पाकिस्तानी जेल में बंद भारतीय कैदी मुहम्मद इस्माइल की पैरवी के लिए नियुक्त किया था। लेकिन कोर्ट में इस्माइल के मामले की चर्चा के दौरान पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल ने जाधव का मामला भी उठा दिया। इसी पर नून ने जाधव मामले में भारतीय उप उच्चायुक्त का उल्लेख कर दिया। भारतीय प्रवक्ता ने कहा, एक मामले की सुनवाई में अन्य मामले की चर्चा गलत है। दोनों मामलों में कोई साम्य नहीं है। नून से कह दिया गया है कि जाधव मामले में उन्हें कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं है।

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव पर आतंकवाद फैलाने और जासूसी करने के झूठे आरोप लगाकर बिना सफाई का मौका दिए उन्हें मौत की सजा सुना दी है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश पर अब उनकी सजा पर पाकिस्तान में फिर से सुनवाई हो रही है।


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