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मजूमदार-शॉ बोली- भारत की सामाजिक संरचना अलग, US और यूरोप से बेहतर लड़ें हम

कुछ रिपोर्ट्स द्वारा भारत में COVID-19 का प्रकोप जून-जुलाई में चरम पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया गया था। इसपर मजूमदार-शॉ ने अपनी सहमति नहीं जताई।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 02 May 2020 04:18 PM (IST)Updated: Sat, 02 May 2020 04:18 PM (IST)
मजूमदार-शॉ बोली- भारत की सामाजिक संरचना अलग, US और यूरोप से बेहतर लड़ें हम
मजूमदार-शॉ बोली- भारत की सामाजिक संरचना अलग, US और यूरोप से बेहतर लड़ें हम

बैंगलोर, पीटीआइ। जैव प्रौद्योगिकी उद्योग की दिग्गज किरण मजूमदार-शॉ ने शनिवार को कहा कि भारत की एक अलग सामाजिक संरचना है और अन्य देशों की तुलना में कोरोना वायरस से बेहतर तरीके से निपटा है। इस देश के लड़ने के तरीके यूरोपीय और अमेरिकी डेटा पर आधारित नहीं हो सकते हैं। पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में, कार्यकारी अध्यक्ष बायोकॉन लि. किरण ने भी पूरे जिले को एक के रूप में बंद करने की बजाय छोटे रेड क्षेत्र बनाने का सुझाव दिया, ताकि आर्थिक गतिविधि में तेजी आए और आपूर्ति श्रृंखला कट-ऑफ न हो। उन्होंने जनसंख्या का पता लगाना और जरूरतमंदों के लिए उपचार प्रदान करने के लिए एक जनादेश के साथ महामारी के प्रबंधन में जिला प्रशासन को सशक्त बनाने का आह्वान किया।

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कुछ रिपोर्ट्स द्वारा भारत में COVID-19 का प्रकोप जून-जुलाई में चरम पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया गया था। इसपर मजूमदार-शॉ ने अपनी सहमति नहीं जताई। उन्होंने कहा कि हम अन्य देशों (यूरोप और अमेरिका) से बहुत अधिक काम कर रहे हैं, जो उनके द्वारा नहीं किया गया, हमने किया। मुझे नहीं लगता कि हमें यूरोपीय डेटा या अमेरिकी डेटा या पश्चिमी डेटा से डेटा से भारत को जोड़ना चाहिए। मजूमदार-शॉ ने कहा कि भारत ने देश में 500 सकारात्मक मामले आने पर लॉकडाउन की घोषणा की थी, जबकि इटली ने ऐसा तब किया था जब उसके 9,000 मामले थे, और यूके ने 6,700 मामलों के बाद किया। इसलिए उन देशों में बीमारी का बोझ बहुत बढ़ गया था

उन्होंने कहा कि जिस तरह से, भारत ने क्वारंटाइन, कर्फ्यू, लॉकडाउन और लोगों पर कड़ाई से निगरानी रखी गई। लॉकडाउन को पूरे देश में लागू करने के साथ जैसे सभी राज्य ने पालन किया, वैसा ज्यादातर देशों ने नहीं किया। उन्होंने पुलिस की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि विदेशों में बड़ी संख्या में बुजर्गों की मौत हुई, लेकिन भारत में एक समय में ज्दाया बुजर्गों की मौत नहीं हुई।


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