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Maulana Abul Kalam Azad Death Anniversary : स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे

पढ़ाई के दिनों में वह काफी प्रतिभाशाली और मजबूत इरादे वाले छात्र थे। अपने छात्र जीवन में ही उन्होंने अपना पुस्तकालय चलाना शुरू कर दिया।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 10:00 PM (IST)Updated: Sat, 22 Feb 2020 08:50 AM (IST)
Maulana Abul Kalam Azad Death Anniversary : स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे
Maulana Abul Kalam Azad Death Anniversary : स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे

नई दिल्ली। स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री रहे मौलाना अबुल कलाम आजाद (Maulana Abul Kalam Azad) की आज पुण्यतिथि (Death Anniversary) है। उनका असल नाम अबुल कलाम गुलाम मोहिउद्दीन अहमद था, लेकिन वह मौलाना आजाद के नाम से मशहूर हुए। मौलाना आजाद स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे। वह दूरदर्शी नेता के साथ-साथ उद्भट विद्वान, प्रखर पत्रकार और लेखक भी थे।

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जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि

मौलाना आजाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था। उनके पिता का नाम मौलाना सैयद मोहम्मद खैरुद्दीन बिन अहमद अलहुसैनी था। उनके पिता एक लेखक थे उन्होंने 12 किताबें लिखी थीं। किताबें लिखने की वजह से उनके शिष्यों की भी काफी संख्या थी। कहा जाता है कि वे इमाम हुसैन के वंश से थे। उनकी मां का नाम शेख आलिया बिंते मोहम्मद था जो शेख मोहम्मद बिन जहर अलवत्र की बेटी थीं। साल 1890 में उनका परिवार मक्का सेवापस कलकत्ता आ गया।

13 साल की उम्र में उनकी शादी खदीजा बेगम से हो गई। वो बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। उनको उर्दू, हिन्दी, फारसी, बंगाली, अरबी और अंग्रेजी सहित कई भाषाओं में महारत हासिल थी। उन्होंने काहिरा के अल अजहर विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने पश्चिमी दर्शनशास्त्र, इतिहास और समकालीन राजनीतिक का भी अध्य्यन किया था। उन्होंने अफगानिस्तान, इराक, मिस्र, सीरिया और तुर्की जैसे देशों का सफर किया।

डिबेटिंग सोसायटी खोली और पढ़ाना शुरू किया

पढ़ाई के दिनों में वह काफी प्रतिभाशाली और मजबूत इरादे वाले छात्र थे। अपने छात्र जीवन में ही उन्होंने अपना पुस्तकालय चलाना शुरू कर दिया। उसके बाद उन्होंने एक डिबेटिंग सोसायटी खोली और अपनी उम्र से दोगुनी उम्र के छात्रों को पढ़ाया। कोलकाता में ‘लिसान-उल-सिद’नाम की पत्रिका शुरू की। 13 से 18 साल की उम्र के बीच उन्होंने बहुत सी पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया। मौलाना आजाद ने कई पुस्तकों की रचना और अनुवाद भी किया, जिसमें ‘इंडिया विन्स फ्रीडम’ और ‘गुबार-ए-खातिर’प्रमुख रुप से शामिल हैं। 

साप्ताहिक पत्रिका निकाली

1912 में उन्होंने एक साप्ताहिक पत्रकारिता निकालना शुरू किया। उस पत्रिका का नाम अल हिलाल था। अल हिलाल के माध्यम से उन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द और हिंदू मुस्लिम एकता को बढ़ावा देना शुरू किया और साथ ही ब्रिटिश शासन पर प्रहार किया। ब्रिटिश शासन को अपनी आलोचना और हिंदू-मुस्लिम एकता नहीं भाई, आखिरकार सरकार ने इस पत्रिका को प्रतिबंधित कर दिया।

स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री

पंडित जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में 1947 से 1958 तक मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षा मंत्री रहे। 22 फरवरी, 1958 को हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया था। 1992 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्यों के सम्मान में उनके जन्म दिवस, 11 नवम्बर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस घोषित किया गया। इसके अलावा देश भर के कई शिक्षा संस्थानों और संगठनों का नामकरण भी उनके नाम पर किया गया है।

नए और पुराने युग की सारी अच्छाइयों का बेजोड़ संगम

पंडित जवाहर लाल नेहरू भी अबुल कलाम आजाद को मानते थे। उन्होंने मौलाना आजाद के बेमिसाल होने की एक मजबूत वजह गिनाई, कहा कि मैं उन्हें जब भी देखता था तो मुझे याद आते थे यूरोपीय पुनर्जागरण काल के वे महान मनीषी आत्माएं जिन्होंने फ्रेंच क्रांति की आहटों को सुन लिया था और उदारता तथा धीरज का वह गुण भी जो सिर्फ आधुनिक जमाने के पहले के वक्तों में पाया जाता था।

मौलाना आजाद नए और पुराने युग की सारी अच्छाइयों का बेजोड़ संगम थे। पश्चिमी एशिया की जिन संस्कृतियों ने हजारों साल से हिन्दुस्तान को सजाया-संवारा है। उसके सारे श्रेष्ठ तत्वों का संगम थे मौलाना आजाद और 'वह युग चूंकि अब बीत गया है, सो अब कोई भी मौलाना आजाद की सी महानता लेकर पैदा नहीं होगा।  


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