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कोरोना से जंग में मास्क ही है ब्रह्मास्त्र, ना बीमार होंगे और ना पड़ेगी इलाज की जरूरत

चिकित्सकीय कदम के तहत इस सबसे कारगर उपाय के दम पर महामारी से निपटने में समय लगेगा। ऐसे में हमें गैर चिकित्सकीय कदमों जैसे मास्क लगाना शारीरिक दूरी बनाए रखना और खानपान और स्वस्थ दिनचर्या बनाए रखनी होगी।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 12 Apr 2021 09:41 AM (IST)Updated: Mon, 12 Apr 2021 09:41 AM (IST)
कोरोना से जंग में मास्क ही है ब्रह्मास्त्र, ना बीमार होंगे और ना पड़ेगी इलाज की जरूरत
गैर चिकित्सकीय कदमों में आर्थिक और संक्रमण के लिहाज से मास्क सबसे कारगर है।

नई दिल्ली, जेएनएन। कोविड-19 महामारी से लड़ रही जंग में दुनिया दो तरह के हथियार इस्तेमाल कर रही है। एक चिकित्सकीय और दूसरा गैर चिकित्सकीय। चिकित्सकीय हथियार के तहत सबसे कारगर तरीका टीका बना हुआ है। भारत में कोविशील्ड और कोवैक्सीन चरणबद्ध तरीके से लोगों को दी जा रही हैं। अध्ययन बताते हैं कि कोरोना के चलते देश में हुई मौतों में 88 फीसद हिस्सेदारी 45 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों की है, लिहाजा इस आयुवर्ग के सभी लोगों को वैक्सीन तेजी के साथ लगाई जा रही है।

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भारत में वैक्सीन का उत्पादन भले ही दुनिया में सर्वाधिक है, लेकिन बड़ी आबादी वाले देश में किए जा रहे सबसे तेज टीकाकरण और दुनिया के गरीब और पिछड़े देशों को भी इसकी आपूर्ति करने के चलते सभी को शीघ्र वैक्सीन देने की सीमाएं भी पैदा हो चली हैं। अभी हम दस करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन की खुराक दे सके हैं। चिकित्सकीय कदम के तहत इस सबसे कारगर उपाय के दम पर महामारी से निपटने में समय लगेगा। ऐसे में हमें गैर चिकित्सकीय कदमों जैसे मास्क लगाना, शारीरिक दूरी बनाए रखना और खानपान और स्वस्थ दिनचर्या बनाए रखनी होगी।

अध्ययन बताते हैं कि गैर चिकित्सकीय कदमों में आर्थिक और संक्रमण के लिहाज से मास्क सबसे कारगर है। देश के आर्थिक विकास और लोगों की निजी जरूरतों के मद्देनजर अनंत काल तक लॉकडाउन संभव नहीं है। संयमित तरीके से मास्क के साथ हम दो गज की दूरी बनाते हुए रोजाना के अपने कामकाज निपटा सकते हैं। प्रभावी तरीके से मास्क के इस्तेमाल से कोरोना के संक्रमण पर लगाम लगेगी। तेज टीकाकरण से धीरे-धीरे एक बड़ी आबादी इस वायरस से अजेय हो जाएगी। देश हर्ड इम्युनिटी की ओर बढ़ चलेगा। लेकिन इस नतीजे को पाने के लिए हमें दो चीजें ध्यान रखनी होगी। पात्र लोग वैक्सीन लगाएं और जो इस दायरे से बाहर हैं, वे मास्क और तमाम एहतियात बड़ी शिद्दत के साथ बरतें। वैक्सीन लगवाने के बाद भी आपके लिए मास्क जरूरी है। वायरस भले आपको न संक्रमित कर पाए लेकिन आपके स्प्रेडर बनने में कोई शंका नहीं होनी चाहिए। ऐसे में अभी मास्क ही हम सबका ब्रह्मास्त्र है।

इसलिए है अचूक

मेडिकल जगत में माना जाता है कि प्रिवेंशन इज बेटर दैन क्योर। यानी किसी रोग के इलाज से अच्छा है कि उससे बचाव किया जाए। कोरोना के मामले में भी ऐसा ही है। अगर हम कोविड अनुकूल अपना व्यवहार रखें, यानी सही तरीके से मास्क लगाएं, दो गज की दूरी रखें, और अपना खान-पान व जीवनशैली दुरुस्त रखकर अपने प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करते रहें तो कोरोना वायरस हमें संक्रमित नहीं कर पाएगा। बीमार ही नहीं होंगे तो इलाज की भी जरूरत नहीं होगी।

जरूरत है बड़ी

इस महामारी को रोकने के लिए चिकित्सकीय कदम के तहत सबसे कारगर उपाय टीका है जोकि बड़ी आबादी तक पहुंचाना बड़ी चुनौती है। साथ ही यह भी सही है कि टीका लगाने के बाद भी आपको मास्क लगाना ही है। तभी आप खुद व औरों को सुरक्षित रख पाएंगे। कोई भी टीका शत-प्रतिशत कारगर नहीं है। अगर कोई टीका 70 फीसद कारगर है तो इसका मतलब यह हुआ कि अगर उसे सौ लोगों को लगाया जा रहा है तो 70 पर ही उसका प्रभावी असर हो रहा है। बाकी 30 लोगों के लिए टीका न लगाए जाने जैसा साबित होगा। ऐसे में अगर आप टीके के बाद मास्क नहीं लगाते तो कैसे तय कर पाएंगे कि आप 30 वाले धड़े में हैं या 70 वाले में। साथ ही मान लीजिए आप कोरोना वायरस से शत-प्रतिशत प्रतिरक्षी हो चुके हैं और यह वायरस आपके नाक में किसी तरह से प्रवेश कर जाता है। ऐसे में यह भले आपके शरीर में न जा पा रहा हो, लेकिन आपकी श्वांस से दूसरे संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए किन्हीं भी परिस्थिति में मास्क से लैस होना आपका दायित्व है।

केस स्टडी: उदाहरण के तौर पर आप खसरे की महामारी ले लीजिए। खसरे के खिलाफ अमेरिका में टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत 1963 में हुई। इसका टीका 97 फीसद कारगर था, लेकिन 37 साल बाद यानी 2000 में वहां इसे खत्म माना जा सका।

हर्ड इम्युनिटी की देरी

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। जितना बड़ा है उतना ही विविध। यहां की 130 करोड़ की आबादी को कम समय में टीका लगाना कोई हंसी खेल नहीं है। करीब तीन महीने टीकाकरण के हो चुके हैं, लेकिन अभी तक हम दस करोड़ लोगों को ही इसकी खुराक दे सके हैं। किसी भी देश में उसकी अलग-अलग पृष्ठभूमि के लिहाज से 50 से 80 फीसद जनसंख्या को टीकाकरण करने के बाद ही हर्ड इम्युनिटी की कल्पना की जा सकती है। अगर भारत के परिप्रेक्ष्य में हम 70 फीसद ही मानें तो करीब सौ करोड़ लोगों को वैक्सीन देनी ही होगी। अगर दस करोड़ वैक्सीन देने में तीन महीने लगे तो सौ करोड़ में तीस महीने तो आप मानकर ही चलें। यानी ढाई साल तक हमें वैक्सीन के बाद भी कोविड अनुकूल व्यवहार करते रहना होगा।

केस स्टडी

1 जून, 2020 में जर्नल हेल्थ अफेयर्स में प्रकाशित आइवा विश्वविद्यालय का एक अध्ययन बताता है कि अमेरिका के 15 प्रांतों और डिस्टिक्ट ऑफ कोलंबिया में अनिवार्य किया गया मास्क किस तरह से महामारी को रोकने में कारगर साबित हुआ। जिन राज्यों में मास्क का इस्तेमाल अनिवार्य नहीं किया गया था, उनके मुकाबले संक्रमण की रफ्तार यहां पर तेजी से कम हुई। अनिवार्य किए जाने के पहले पांच दिन के भीतर ही संक्रमण दर करीब एक फीसद गिरी और तीन सप्ताह बाद इसमें दो फीसद की गिरावट देखी गई।

2 प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में जर्मनी का प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि वहां का जेना शहर में मास्क को अनिवार्य करने वाला पहला शहर बना था। पिछले अप्रैल में लागू की गई इस अनिवार्यता के बाद 20 दिनों में नए संक्रमण के नए मामलों में 75 फीसद की गिरावट देखी गई।

3 मास्क का इस्तेमाल कोरोना के चलते अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या को भी कम रखता है। अमेरिका की सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने 2020 के मार्च से अक्टूबर के बीच जुटाए आंकड़ों का विश्लेषण किया तो चौंकाने वाले नतीजे आए। निष्कर्ष निकला कि अमेरिका के जिन राज्यों ने मास्क लगाने को अनिवार्य बनाया था, उनमें अस्पताल में भर्ती कराने की दर मास्क को अनिवार्य न बनाने वाले राज्यों की तुलना में 2.9 फीसद कम रही थी। 40-64 आयुवर्ग के बीच यह बदलाव पहले दो सप्ताह में दिखे। तीन सप्ताह या उससे ज्यादा की अवधि के लिए अस्पताल में भर्ती कराने की दर 40-64 आयुवर्ग के साथ-साथ 18-39 आयुवर्ग के लिए भी 5 से छह फीसद कम रही।

4 बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि बीजिंग में जिन परिवारों ने मास्क लगाने के नियम का पालन किया, उनमें कोविड-19 महामारी का प्रकोप कम देखने को मिला। जिन परिवारों ने अपने पहले सदस्य के संक्रमित होने के पहले से ही मास्क लगाना शुरू कर दिया था, उनके बीच संक्रमण 79 फीसद कम फैला।


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