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चीन से तनातनी के बीच पैंगोंग झील क्षेत्र में MARCOS तैनात, कुछ इस तरह का है प्लान

MARCOS को पैंगोंग झील क्षेत्र में तैनात किया गया है जहां भारतीय और चीनी सेना इस साल अप्रैल-मई से सीमा विवाद को लेकर संघर्ष की स्थिति में है। नौसेना के कमांडो को जल्द ही झील में परिचालन के लिए नई नावें मिलने जा रही हैं।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 03:39 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 03:57 PM (IST)
चीन से तनातनी के बीच पैंगोंग झील क्षेत्र में MARCOS तैनात, कुछ इस तरह का है प्लान
चीन से तनातनी के बीच पैंगोंग झील क्षेत्र में MARCOS तैनात।

नई दिल्ली, एएनआइ। भारत और चीन के बीच काफी लंबे समय से टकराव चल रहा है। इस बीच, भारतीय नौसेना के मरीन कमांडो (MARCOS) पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील क्षेत्र में तैनात किया गए हैं। इस तैनाती के पीछे कुछ कारण हैं। सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआइ को बताया, 'पूर्वी लद्दाख में MARCOS की तैनाती के पीछे का कारण एक तो भारतीय वायु सेना के गरुड़ संचालक और भारतीय सेना के पैरा स्पेशल फोर्सेज, जो शुरुआत के दिनों से ही संघर्षों में अहम भूमिका निभा रही है। ऐसे में जब ठंड के मौसम में नौसैनिक कमांडो भी साथ आ जाएंगे तो तीनों सेनाओं की शक्ति एक साथ रहने से और बढ़ेगी।'

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सूत्रों ने कहा कि MARCOS को पैंगोंग झील क्षेत्र में तैनात किया गया है जहां भारतीय और चीनी सेना इस साल अप्रैल-मई से सीमा विवाद को लेकर संघर्ष की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि नौसेना के कमांडो को जल्द ही झील में परिचालन के लिए नई नावें मिलने जा रही हैं। इससे मौजूदा बुनियादी ढांचे को अधिक मजबूत करते हुए झील पर नजर रखी जा सकेगी।

बता दें कि भारतीय सेना के विशेष बल जिनमें पैरा स्पेशल फोर्सेस और कैबिनेट सचिवालय की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स शामिल हैं, पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से विशेष अभियान चला रहे हैं। भारतीय वायु सेना के गरुड़ विशेष बलों ने संघर्ष के शुरुआती दिनों में किसी भी लड़ाकू या अन्य विमानों की देखभाल करने के लिए Igla कंधे से हवा में वार करने वाले रक्षा सिस्टम के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर रणनीतिक ऊंचाइयों पर पहाड़ी की चोटी पर स्थान हासिल किया।

सेना और वायु सेना दोनों से संबंधित विशेष टुकड़ियां लगभग छह महीने से अधिक समय से वहां मौजूद हैं। 29-30 अगस्त को भी, भारतीय पक्ष ने विशेष बलों का उपयोग एलएसी के साथ रणनीतिक ऊंचाइयों पर कब्जा करने के लिए किया था ताकि चीन पर कड़ी नजर रखी जा सके। चीनी ने भी एलएसी पर अपनी ओर विशेष सैनिकों को बनाए रखा हुआ है।

जम्मू-कश्मीर में भी तैनात MARCOS

भारतीय नौसेना ने जम्मू-कश्मीर के वुलर झील क्षेत्र में अपने MARCOS की टीमों को वहां आतंकवाद से निपटने के लिए तैनात किया है। इसके अलावा भारतीय वायु सेना ने 2016 के पठानकोट अभियानों के बाद कश्मीर घाटी में गरुड़ की तैनाती शुरू की थी। उनकी तैनाती के तुरंत बाद, गरुड़ ने अपनी ताकत साबित कर दी और 26/11 के आतंकवादी जहीर उर रहमान लखवी के भतीजे के नेतृत्व में आतंकवादियों के एक ग्रूप को खत्म करने के लिए एक अशोक चक्र, तीन शौर्य चक्र और कई अन्य वीरता पुरस्कार अर्जित किए।

उस ऑपरेशन के बाद, वायु सेना कश्मीर घाटी में आगे की तैनाती के लिए नियमित गरुड़ टीमों को भेज रही है। भारतीय सेना के पास अपने कई विशेष बलों की बटालियनें हैं जो कश्मीर घाटी में आतंकवादियों के ऑपरेशन के लिए तैनात हैं। इसके तहर 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक को भी अंजाम दिया गया था।

कौन है दुश्मनों का काल MARCOS?

समुद्र के भीतर दुश्मन देश की घुसपैठ या आतंकी हमले के मंसूबों का तोड़ भारतीय नौसेना के जांबाज मरीन कमांडो मार्कोस हैं। मार्कोस मारक और खतरनाक होते हैं। दुश्मन की समुद्र के अंदर हर चाल को भांप लेते हैं। अमेरिका भी अपने सील कमांडो का संयुक्त अभ्यास भारतीय मार्कोस के साथ कराता है। बता दें कि इनकी ट्रेनिंग सख्त होती है। 21/11 के मुंबई हमले में मार्कोस ने ऑपरेशन ब्लैक टोर्नेडो चलाकर ठिकाने लगाए थे सारे आतंकी। ये 21 स्टार इस्राइली गन का प्रयोग करते हैं। इनकी यूनीफार्म खास डिजाइन की होती है। इनकी अधिकांश ट्रेनिंग आइएनएस अभिमन्यु में होती है। यह एक ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट है। मार्कोस समुद्र के भीतर तैरते हुए दुश्मन देशों के तट तक पहुंच सकते हैं।


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