New Education Policy लागू करने के लिए राज्यों ने मांगी अतिरिक्त वित्तीय मदद, केरल ने नीति को ठुकराया
New Education Policy पर दिल्ली के शिक्षा मंत्री Manish Sisiodia ने कहा कि वित्त पोषित सरकारी स्कूल काफी हद तक नियमन के तहत हैं और इनको जरूरत से कम धन मुहैया हो रहा है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। नई शिक्षा नीति को नवंबर तक लागू करने के प्रयास में जुटी केंद्र सरकार को कई राज्यों की अतिरिक्त वित्तीय सहायता की मांग ने परेशानी में डाल दिया है। बिहार, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, मध्यप्रदेश, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान जैसे राज्यों ने शिक्षा पर खर्च संबंधी प्रावधानों पर अमल के लिये अतिरिक्त धन मांगा है।
हालांकि नई शिक्षा नीति के मसौदे के ज्यादातर प्रावधानों पर अधिकांश राज्यों ने सहमति व्यक्त की है, लेकिन केरल ने इसे निजीकरण एवं व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने वाला बताते हुए अस्वीकार कर दिया है। नीति के मसौदे में शिक्षा पर जीडीपी का छह प्रतिशत खर्च करने की प्रतिबद्धता व्यक्त करने की सिफारिश की गई है।
शिक्षा मंत्रियों ने रखी मांग
इसी विषय को लेकर केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की हाल ही में हुई बैठक में इन राज्यों के शिक्षा मंत्रियों ने केंद्र के समक्ष यह मांग रखी। इस बैठक में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक मौजूद थे। बैठक से जुड़ी मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संक्षिप्त रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के शिक्षा मंत्री के एन प्रसाद वर्मा ने कहा, 'इस नीति को लागू करने में धन एक महत्वपूर्ण कारक है और मसौदा नीति में इसे लागू करने से संबंधित वित्तीय आयामों के बारे में कुछ खास नहीं बताया गया है।'
जरूरत से कम धन मुहैया हो रहा
उन्होंने इसे लागू करने के लिए वित्तीय समर्थन और उपयुक्त वित्तीय योजना की जरूरत बतायी । दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि वित्त पोषित सरकारी स्कूल काफी हद तक नियमन के तहत हैं और इनको जरूरत से कम धन मुहैया हो रहा है। उन्होंने कहा, 'मसौदा नई शिक्षा नीति में इसका कोई समाधान नहीं बताया गया है।' उन्होंने कहा कि जब तक कोई ऐसा कानून नहीं होगा जो सरकार को धन आवंटित करने के लिए बाध्य करे, तब तक इस नीति से भारत में शिक्षा का परिदृश्य नहीं बदलेगा।
गंभीर प्रभावों का भी हुआ जिक्र
बैठक में केरल के शिक्षा मंत्री सी. रवींद्र नाथ ने संघीय ढांचे का विषय उठाया। उन्होंने इस नीति के गंभीर प्रभावों का जिक्र किया और कहा कि यह केंद्रीयकरण की ओर ले जाएगा। उन्होंने कहा, 'ऐसे में शिक्षा पर खर्च को बढ़ाना देश में शिक्षा के परिदृश्य को बेहतर बनाने का एकमात्र रास्ता है। मसौदा नई शिक्षा नीति, निजीकरण एवं व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने वाली है और इसलिये यह स्वीकार्य नहीं है।' मध्यप्रदेश, ओडिशा और पंजाब के शिक्षा मंत्रियों ने भी इस उद्देश्य के लिये उपयुक्त बजटीय आवंटन एवं वित्तीय समर्थन की मांग की।
आंगनबाड़ी कर्मियों के लिए अतिरिक्त कोष की मांग
राजस्थान के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह दोतासारा ने बैठक में आंगनबाड़ी कर्मियों पर आधारित कार्यक्रमों के लिए अतिरिक्त कोष की मांग की । केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (CEAB) की 21 सितंबर को हुई विशेष बैठक में नई शिक्षा नीति के मसौदे पर राज्यों सहित विभिन्न पक्षकारों के बीच गंभीर विचार-विमर्श हुआ था।
इस पर अधिकारियों का कहना है कि एक बार नीति लागू होने पर संसाधन जुटाने का रास्ता भी निकाल लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि जहां चाह, वहां राह। इस संदर्भ में कारपोरेट सामाजिक जवाबदेही (CSR) एक रास्ता हो सकता है।
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