बेदम उच्च शिक्षण संस्थानों से पीएम मायूस
नई दिल्ली [जाब्यू]। उच्च शिक्षा में गुणवत्ता की कमी सरकार के लिए चिंता का सबब बन गई है। दुनिया के सर्वोच्च 200 शिक्षण संस्थानों में भारतीय संस्थानों को जगह नहीं मिलने का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। वहीं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी उच्च शिक्षा में निजी क्ष
नई दिल्ली [जाब्यू]। उच्च शिक्षा में गुणवत्ता की कमी सरकार के लिए चिंता का सबब बन गई है। दुनिया के सर्वोच्च 200 शिक्षण संस्थानों में भारतीय संस्थानों को जगह नहीं मिलने का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। वहीं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी उच्च शिक्षा में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के दौरान गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एहतियाती कदम उठाने की जरूरत पर बल दिया।
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति 10 साल के अंतराल पर हो रहे केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। कुलाधिपति के रूप में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा बुलाए गए इस सम्मेलन में 40 कुलपति मौजूद थे। विश्वविद्यालयों के मौजूदा पाठ्यक्रम को आडे़ हाथों लेते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कई विश्वविद्यालय अब भी ऐसे विषयों में स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम चला रहे हैं, जिनमें रोजगार की मांग ही नहीं है। वे अधिकांश दुनिया की तेजी से बदलती स्थितियों के अनुरूप खुद को ढालने में विफल रहे हैं।
पिछले नौ सालों के अपने कार्यकाल में उच्च शिक्षण संस्थानों के विस्तार का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि गुणवत्ता के बिना यह विस्तार बेमानी है। उनके अनुसार 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान उच्च शिक्षा के विस्तार के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने पर विशेष जोर दिया जाएगा। नई वैश्विक चुनौतियों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए विशेष अवसर भी है। 21वीं सदी में भारत को आधुनिक, संपन्न, प्रगतिशील अर्थव्यवस्था व समाज के निर्माण में सहयोग करने वाली शिक्षा प्रणाली देना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।
वहीं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों को सामाजिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ गुणवत्ता बनाए रखने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाकर भारत को ज्ञान केंद्रित अर्थव्यवस्था बनाने में सहयोग करना चाहिए। उन्होंने सेवा शर्तो में सुधार के जरिये उच्च शिक्षण संस्थानों से बौद्धिक संपदा के पलायन को रोकने की जरूरत पर बल दिया। उच्च शिक्षा में आ रही गिरावट पर चिंता जाहिर करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इसे तत्काल बदलने की जरूरत है।
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