कई बोले, चीफ जस्टिस ही रोस्टर का मास्टर तो कुछ ने बताया गलत
सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई की गई तो चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि जो प्रक्रिया है वह दुरुस्त है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। बेंचों के गठन व केस आवंटित करने की प्रक्रिया पर सवाल उठाने वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई के बाद फैसला आया तो कई कानूनविदों ने इसे सही करार दिया तो कुछ वकीलों ने इसे निराशाजनक माना। उनका कहना था कि इससे एक व्यक्ति विशेष को अपनी मनमानी का मनचाहा हक मिलता है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के वकील अशोक पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें उस प्रणाली पर पुनर्विचार करने की बात कही गई थी, जिसमें बेंचों के गठन व केसों को आवंटित किया जाता है। याचिका में सीधे चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की शक्तियों पर सवाल उठाया गया था। सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई की गई तो चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि जो प्रक्रिया है वह दुरुस्त है। चीफ जस्टिस को बेंचों के गठन के साथ केस आवंटित करने का अधिकार है।
पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश ठीक है। चीफ जस्टिस ही रोस्टर का मास्टर होता है, जबकि अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि चीफ जस्टिस को इस मामले की सुनवाई खुद करने से बचना था, क्योंकि सवाल उनके अधिकार क्षेत्र से जुड़ा था। अजीत कुमार सिन्हा ने भी इसे चीफ जस्टिस का विशेषाधिकार बताया, वहीं कामिनी जयसवाल ने कहा कि आदेश पर निराशा हुई है। याद रहे कि पूर्व कानून मंत्री व वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण ने भी इसी तरह की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी। उनके बेटे प्रशांत भूषण ने कहा कि जब चीफ जस्टिस किसी मामले में खुद पार्टी हैं तो वह खुद सुनवाई कैसे कर सकते हैं। बुधवार को आए फैसले से शांति भूषण की याचिका बेमतलब हो गई है।