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SC का मांझा पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण का प्रतिबंध हटाने से इंकार

कानूनी प्रावधानों पर विचार किये बगैर ही अधिकरण ने इस तरह का प्रतिबंध लगाने का आदेश दे दिया है।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Fri, 13 Jan 2017 03:45 PM (IST)Updated: Fri, 13 Jan 2017 04:26 PM (IST)
SC का मांझा पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण का प्रतिबंध हटाने से इंकार
SC का मांझा पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण का प्रतिबंध हटाने से इंकार

नई दिल्ली, पीटीआई। सुप्रीम कोर्ट ने पंतग उड़ाने में प्रयोग होने वाले शीशा मिश्रित डोर , मांझा, के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण के अंतरिम आदेश पर रोक लगाने से शुक्रवार को इंकार कर दिया। न्यायालय के इस फैसले के बाद फिलहाल अधिकरण का अंतरिम प्रतिबंध लागू रहेगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पतंग उड़ाने के लिए शीशे और मेटल से बने मांझे का इस्तेमाल नहीं होगा, कोर्ट ने कहा कि ये मांझे काफी खतरनाक हैं।

न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति पी सी पंत की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता, गुजरात के कारोबारियों का समूह, राहत के लिये राष्ट्रीय हरित अधिकरण जा सकता है।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने NGT के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि जिसमें एनजीटी ने मांझे के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल (PETA) की याचिका पर एनजीटी ने मांझे के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी।

याचिकाकर्ताओं ने पिछले वर्ष14 दिसंबर को शीशा मिश्रिम डोर के इस्तेमाल पर लगायी गयी अंतरिम रोक के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।

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इन कारोबारियों के वकील का कहना था कि कानूनी प्रावधानों पर विचार किये बगैर ही अधिकरण ने इस तरह का प्रतिबंध लगाने का आदेश दे दिया है। उनका कहना था कि डोर के साथ मांझा दशकों से इस्तेमाल हो रहा है और इससे मनुष्य, मवेशियों और पक्षियों को खतरा होने का मसला कभी भी नहीं उठा।

पीठ ने कहा कि चूंकि यह डोर शीशा मिश्रित है, इसलिए यह मवेशियों और पक्षियों के लिये नुकसानदेह हो सकती है।

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गौरतलब है कि अधिकरण ने पिछले साल मांझा के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाते हुये कहा था कि शीशा और धातु पाउडर मिश्रित डोर पर्यावरण के लिये खतरा पेश करती है।

अधिकरण ने इससे पहले पशु अधिकारों की संस्था पीपुल फार एथिकल ट्रीटमेन्ट आफ एनीमल्स पेटा की याचिका पर सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

इस संगठन ने दलील दी थी कि इस तरह के मांझा से मनुष्य और पशुओं को गंभीर खतरा हो रहा है और हर साल इसकी वजह से बडी संख्या में लोगों की मृत्यु हो रही है। याचिका में यह भी कहा गया है कि यह मांझा जब करेन्ट चालित बिजली के तारों के संपर्क में आता है तो इससे इलेथ्क्ट्रक ग्रिड भी फेल हो जाती है।


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