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तेलंगाना में नौ लोगों की हत्या में बिहार के युवक को मौत की सजा

तेलंगाना में हत्या का शिकार हुए ज्यादातर लोग एक ही परिवार के। हत्या की वारदात छुपाए रखने के लिए नौ और की ले ली जान। नींद की गोलियों से बेसुध किया फिर एक-एक कर कुएं में फेंक दिया।

By Nitin AroraEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 06:06 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 06:06 PM (IST)
तेलंगाना में नौ लोगों की हत्या में बिहार के युवक को मौत की सजा
तेलंगाना में नौ लोगों की हत्या में बिहार के युवक को मौत की सजा।

हैदराबाद, आइएएनएस। तेलंगाना के वारंगल जिले में इसी साल मई में नौ लोगों की जान लेने वाले बिहार निवासी युवक को अदालत ने बुधवार को मौत की सजा सुना दी। हत्याभियुक्त संजय कुमार यादव ने हत्या की एक वारदात को छुपाए रखने के लिए नौ और लोगों की जान ले ली।

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पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार संजय यादव और मोहम्मद मकसूद आलम वारंगल के गोरेकुंटा गांव में बोरे बनाने वाली फैक्ट्री में काम करते थे। बंगाल निवासी मकसूद के साथ उनका परिवार भी रहता था। कुछ दिन पहले मकसूद की तलाकशुदा भतीजी रफीका साथ रहने को आई। संजय ने नजदीकियां बढ़ाकर रफीका को अपने साथ रख लिया। कुछ दिन सब ठीक चला लेकिन एक दिन संजय ने रफीका की बेटी की आबरू पर हाथ डालने का कोशिश की तो रफीका ने हंगामा खड़ा कर दिया। इस पर संजय ने किसी तरह मामला रफा दफा किया और रफीका से शादी करने के लिए उसके घर वालों से बात करने के लिए कहा। रफीका के घर जाने के लिए दोनों ने 6 मार्च को गरीब रथ ट्रेन पकड़ी। रास्ते में उसने रफीका को खाने में जहर दे दिया और गला घोंटकर मार डाला।

आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले में निदादावोले स्टेशन के पास उसने ट्रेन से रफीका की लाश फेंक दी। इसके बाद वह राजमुंदरी स्टेशन पर उतर कर दूसरी ट्रेन से वापस आ गया। लौटने पर मकसूद ने जब रफीका के बारे में पूछताछ की तो संजय ने कहा कि वह अपने घर पहुंच गई है। मकसूद का परिवार कई दिन तक संजय से रफीका के बारे में पूछताछ करता रहा। थक हारकर उन्होंने पुलिस के पास जाने की धमकी दी। इस पर संजय डर गया और अपनी करतूत छुपाए रखने को पूरे परिवार का सफाया करने की साजिश बनाने लगा।

20 मई मकसूद ने अपने बेटे शाहबाज की सालगिरह मना रहा था। उस दिन संजय खाने-पीने की चीजों में नींद की गोलियां मिलाकर उनके घर ले गया। इन चीजों को पूरे परिवार के साथ त्रिपुरा से आए एक रिश्तेदार युवक ने खा लिया। सभी बेहोश हो गए। इसके बाद संजय ने रात भर में सभी को बोरे में भर कर एक एक करके कुएं में फेंक दिया। मरने वालों में मकसूद, उसकी पत्नी निशा, दो बेटे शाहबाज आलम व सोहेल आलम, बेटी बुशरा, बुशरा का तीन साल का बेटा और रिश्तेदार शकील में शामिल रहे।

इसके बाद वह इसी इमारत में रहने वाले दो बिहारी युवकों श्रीराम कुमार शाह और श्याम कुमार शाह के पास गया और उन्हें भी नींद की गोलियां देकर बेहोश कर दिया और ठिकाने लगा दिया। इन दोनों का कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने संजय को मकसूद के घर हुई दावत में देख लिया था। संजय बिहार के बेगूसराय जिले के नूरपुर गांव का रहने वाला बताया गया है।


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