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Malaria Vaccine News: अब वैक्सीन से मलेरिया पर लगेगा विराम, ऐसे काम करेगा टीका

Malaria Vaccine News रायपुर AIIMS के एसोसिएट प्रोफेसर एवं वरिष्ठ चिकित्सक डा. राधाकृष्ण रामचंदानी ने बताया कि WHO के अनुसार भारत में एक साल में एक करोड़ पचास लाख लोग मलेरिया से पीड़ित होते हैं जिनमें से उन्नीस से बीस हजार लोग अकाल मृत्यु के शिकार हो जाते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 02:46 PM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 02:46 PM (IST)
Malaria Vaccine News: अब वैक्सीन से मलेरिया पर लगेगा विराम, ऐसे काम करेगा टीका
वैक्सीन से इस बीमारी पर लगेगा विराम...

संदीप तिवारी, रायपुर। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में मलेरिया वैक्सीन के रूप में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुखद समाचार मिला है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों में लगने वाली यह वैक्सीन 30 फीसद घातक मलेरिया में मृत्यु दर कम करके आनेवाले समय में देश की एक मुख्य समस्या को काफी हद तक कम कर सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलेरिया के पहले टीके मसरिक्वरिक्स को मंजूरी देकर एक बड़ी चिंता को कम कर दिया है।

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भारत के इन इलाकों में सबसे अधिक प्रभाव: भारत में लगभग हर इलाके में मलेरिया होता है। खास करके छोटे-छोटे पहाड़ी आदिवासी जंगल के इलाकों में यह बीमारी अधिक फैली हुई है। देश के पूर्वी और मध्य भाग जिनमें छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड और उत्तरी पूर्वी राज्यों में यह बीमारी प्रमुखता से पाई जाती है।

सबसे ज्यादा होती है बच्चों की मौत: मलेरिया से होने वाली मौतों के आंकड़ों में यदि हम वर्गवार विश्लेषण करें तो पाते हैं कि करीब 67 फीसद बच्चों की मृत्यु दर देखने को मिलती है। सबसे अधिक चिंताजनक बात यह है कि मरने वालों में ज्यादातर बच्चे पांच साल की उम्र के नीचे के ही होते हैं। विशेषज्ञों के सामने यह बात आ चुकी है कि छोटे बच्चों में मलेरिया के परजीवी अधिक प्रभाव डालते हैं। बच्चों में इस बीमारी के कारण अधिक प्रभाव की वजह यह है कि बच्चे परजीवी के साथ पहले से संपर्क में नहीं आते हैं। बच्चों के शरीर में वयस्कों के मुकाबले उस स्तर पर प्रतिरोधक क्षमता नहीं बन पाती है। फलस्वरूप पहली बार मलेरिया से ग्रसित बच्चों के लिए यह बीमारी प्राणघातक हो जाती है।

सरकारी प्रयास से कुछ कम हुए मरीज: यह राहत की बात है कि भारत में साल 2019 में इसके पहले साल 2018 के मुकाबले भारत में 18 फीसद मलेरिया के मरीज कम पाए गए। मलेरिया मरीज में भारत में लगातार गिरावट देखी गई, पर इसकी तादात और भयावहता को देखते हुए भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह बीमारी बड़ी समस्या बनी हुई है। मलेरिया को कम करने के लिए सरकारी प्रयास भी कारगर रहे हैं। देश में 2016 से 2030 तक चल रहे राष्ट्रीय मलेरिया निराकरण कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय वाहक जनित नियंत्रण कार्यक्रम में 25 फीसद बजट पर इजाफा भी किया गया है।

यह परजीवी फैलाता है मलेरिया: प्लाज्मोडियम नामक परजीवी मच्छर के काटने पर शरीर में प्रवेश करता है और मलेरिया होता है। ये परजीवी चार प्रकार के होते हैं। भारत और दुनिया के कई हिस्सों में पाए जाने वाले प्लाज्मोडियम विवरेक्स और फाल्सीपेरम में से फाल्सीपेरम प्राणघातक होता है।

अब पहले से अधिक आसान होगी राह: अभी तक मलेरिया से बचने के लिए मच्छरों को मारने का या दूर रहने का उपाय इसके निराकरण में कारगर रहे हैं। जैसे मच्छरदानी का उपयोग करना, मच्छरों से दूर रहने की क्रीम का प्रयोग, शरीर ढककर रखना, खुले में न सोना, बाजार से विभिन्न उपकरणों को खरीदकर प्रयोग में लाना आदि। मच्छर काटने के बाद यह परजीवी जब शरीर में प्रवेश करता है तो तेजी से अपनी वंश वृद्धि कर पहले लिवर को प्रभावित करता है और फिर शरीर की लाल रक्त कणिकाओं को नष्ट करता है। इससे शरीर में रक्त की कमी हो जाती है और मृत रक्त कणिकाएं शरीर के विभिन्न अंगों को निष्क्रिय कर देती हैं। इस स्थिति में संक्रमित की मौत हो जाती है। इस परिप्रेक्ष्य में नई वैक्सीन यानी टीका आना निश्चय ही एक सुखद समाचार है। वहीं हर साल 25 अप्रैल को मनाए जा रहे मलेरिया दिवस की इस साल की थीम है, ‘जीरो मलेरिया टारगेट’ यानी मलेरिया शून्य लक्ष्य।

ऐसे करेगा टीका काम: इस टीका का वैज्ञानिक नाम आरटीएस,एस/एएस-01 है। जब परजीवी मच्छर से लिवर यानी कलेजा संक्रमित होता है तो इस टीके की रोग प्रतिरोधकता के कारण परजीवी वंश वृद्धि नहीं कर पाता है। यह अपने आप में दुनिया का सबसे पहला न केवल मलेरिया, बल्कि परजीवी जनित बीमारी के विरुद्ध विकसित किया गया टीका है। छह अक्टूबर 2021 को विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमोदन के बाद इसका तृतीय ट्रायल शुरू किया गया है। अनुसंधान के मुताबिक यह वैक्सीन 30 फीसद लोगों में प्राणघातक मलेरिया से बचाने में कारगर साबित हुई है।

सालों से चल रहा था अनुसंधान: मलेरिया के परजीवी मच्छर और इंसान दोनों में बसते हैं। इसी कारण वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में काफी मुश्किल हुई। लगभग 30 साल के बाद वैक्सीन का वर्तमान स्वरूप एक आशा की किरण लेकर आया है। परजीवी का जीवन चक्र, परजीवी का बदलता स्वरूप, शरीर के प्रतिरोधक शक्ति में जटिलता के चलते वैक्सीन के आने में देरी हुई। आने वाले समय में वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ग्लैक्सो के साथ भारत बायोटेक कंपनी के बीच हुए अनुबंध के अनुसार 2029 में भारत बायोटेक विश्व में मुख्य वितरित कंपनी होगी।


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