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Coronavirus: सकारात्मक सोच को बनाएं कोरोना संक्रमण के खिलाफ हथियार

मनोचिकित्सक डॉ. संदीप गोविल ने बताया कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए हमें सारे जरूरी उपायों को अपनाना है और इस बात को स्वीकारना है कि सब ठीक हो जाएगा...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 08:27 AM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2020 08:28 AM (IST)
Coronavirus: सकारात्मक सोच को बनाएं कोरोना संक्रमण के खिलाफ हथियार
Coronavirus: सकारात्मक सोच को बनाएं कोरोना संक्रमण के खिलाफ हथियार

नई दिल्ली, जेएनएन। हमारे आसपास जो भी घट रहा होता है उसका सीधा असर हमारी मानसिकता पर पड़ता है। कोरोना संक्रमण की खबरों ने मानसिक रोगियों को अधिक परेशान कर रखा है। इस कालावधि में जब सामान्यजन अपनी मानसिक दृढ़ता खोने लगते हैं, तब खुद की विशेष देखभाल की जरूरत होती है। लंबे समय से चल रही कोरोना संक्रमण की खबरें अब लोगों को भयभीत कर रही हैं। किसी सेलेब्रिटी की मौत, नए कंटेनमेंट जोन, सामाजिक या प्राकृतिक आपदा आदि के बारे में खबर पाकर लोग सोचने समझने की क्षमता खो बैठते हैं। इन दिनों सामान्य व्यक्ति भी घर की समस्याओं को लेकर हताश हो सकता है। जिस प्रकार से हम बीमारी से लड़ने के लिए अपने शरीर की इम्युनिटी को मजबूत बनाए रखने की कोशिश करते हैं, उसी प्रकार से मस्तिष्क की इम्युनिटी को भी मजबूत बनाए रखना जरूरी है। जानें क्‍या कहते है मनोचिकित्सक डॉ. संदीप गोविल

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वर्तमान में हम हर चीज से वाकिफ और सुरक्षित रहने के लिए हर तरह की सूचनाओं की जानकारी लेते रहते हैं, लेकिन यह भूल जाते हैं कि इसका सीधा असर हमारे शरीर और मस्तिष्क पर पड़ रहा है। हो सकता है मैंने यह हजारों बार सोच लिया हो कि दुनिया खत्म होने वाली है या मैं हमेशा के लिए अकेला रह जाऊंगा या मेरे परिवार के सदस्यों को भी कोरोना हो सकता है। दरअसल ये सब हमारे विचार मात्र हैं। दरअसल हमारा मस्तिष्क हमें भ्रमित करता रहता है, जिसके कारण हम अपने विचारों को सच समझने लगते हैं। ऐसे में खुद को शांत रखने के लिए इमोशनल इम्युनिटी का मजबूत होना बेहद जरूरी है।

इमोशनल इम्युनिटी को मजबूत बनाएं: उपचार से बेहतर बचाव है। जी हां, बात चाहे मानसिक स्वास्थ्य की ही क्यों न हो, बचाव हर स्थिति में एक अहम भूमिका निभाता है। कुछ बातों को समझना हमारे लिए बहुत जरूरी है। दुनिया में क्या चल रहा है, इसकी चिंता करने के बजाय मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर कैसे रखा जा सकता है, इस पर ध्यान दें। यदि हम स्वस्थ रहेंगे तभी हम खुश और सुरक्षित महसूस कर पाएंगे। वर्तमान पर ध्यान दें: हमारा दिमाग हर स्थिति की पूरी कहानी तैयार कर लेता है और हम वर्तमान को छोड़कर भविष्य के लिए परेशान होने लगते हैं।

इस प्रकार की घातक स्थिति से लड़ने के लिए वर्तमान पर ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि वर्तमान ही जीवन है। इसलिए हर दिन नए सिरे से शुरू करें। बीते हुए और आने वाले कल की चिंता छोड़ दें। बहुत सी परिस्थितियां ऐसी होती हैं, जिन पर किसी का बस नहीं चलता है। इसलिए उन्हें बदलने की असफल कोशिश करने के बजाए जो सामने है, उसे निपटा लें। अगले दिन की समस्या को अगले दिन सुलझाने के लिए छोड़ दें।

खुद से प्यार करें: खुद को प्यार करना, स्वस्थ रहने का एक कारगर विकल्प है। हम इस धरती पर मौजूद हैं। इसका सबूत केवल हमारे शरीर से मिलता है। इसीलिए खुद को प्यार करना बहुत जरूरी है। सिर की मालिश करे, बॉडी मसाज लें, त्वचा का ख्याल रखें। इन सभी चीजों से हमारे मस्तिष्क को राहत मिलती है।

क्रिएटीविटी में मन लगाएं: कुकिंग, पेंटिंग, ड्रॉइंग जैसी एक्टिविटी में मन लगाएं। पसंदीदा म्यूजिक पर डांस करें। ऐसा करने से हमें इस बात का अहसास रहता है कि दुनिया में चाहे कितना बुरा हो रहा हो, लेकिन जिंदगी का एक यह भी रूप है, जो हर चिंता और हर दर्द को खत्म कर देता है।

अच्छी खबरें सुनें या पढ़ें: हम क्या पढ़ना और देखना पसंद करते हैं यह पूरी तरह हम पर निर्भर करता है। इसलिए हमेशा सकारात्मक खबरों को पढ़ें और जानें किदुनिया में क्या अच्छा हो रहा है।

संतुलन कायम करें: दिनभर के शारीरिक क्रियाकलापों में संतुलन कायम करें। बहुत ज्यादा खाना या बहुत कम खाना, ज्यादा सोना या कम सोना ये मानसिक स्वास्थ के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।

खुद को श्रेय दें: खुद को अहमियत दें, जो काम आपने अच्छे से किया हो उसका श्रेय लेना भी याद रखें। इमोशनल इम्युनिटी को मजबूत बनाए रखने के लिए जो भी करते हैं उसके लिए भी खुद को श्रेय दें। हम अक्सर खुद को श्रेय देना भूल जाते हैं।

परिवार के संपर्क में रहें: अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों से बातचीत करते रहें। इस प्रकार आप हमेशा खुश रहेंगे। बेहतर इम्युनिटी के लिए केवल इतना ही काफी नहीं है, बल्कि आपको यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आप इसके लिए क्या कर रहे हैं।

नकारात्मकता से रहें दूर: नकारात्मक बातों से मन विचलित होने लगता है। इसलिए इससे और इस स्वभाव के लोगों से दूर रहें। कई बार ऐसा होता है कि हम समाज की बातों को अपने विचार समझते हैं और समाज में क्या हो रहा है हम खुद से वही बात करने लगते हैं।


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