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कोर्ट का आदेश गलत ढंग से पेश करने को 'चुनाव का भ्रष्‍ट तरीका' घोषित करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका

सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है जिसमें चुनावी लाभ के लिए अदालत के आदेश को गलत ढंग पेश करने को चुनाव का भ्रष्‍ट तरीका करार देने की मांग की गई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 05:47 PM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 05:47 PM (IST)
कोर्ट का आदेश गलत ढंग से पेश करने को 'चुनाव का भ्रष्‍ट तरीका' घोषित करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका
कोर्ट का आदेश गलत ढंग से पेश करने को 'चुनाव का भ्रष्‍ट तरीका' घोषित करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका

नई दिल्ली, माला दीक्षित। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है जिसमें चुनावी लाभ के लिए 'अदालत के आदेश को गलत ढंग पेश करने' को 'चुनाव का भ्रष्‍ट तरीका' करार देने की मांग की गई है। याचिका में शीर्ष अदालत से मांग की गई है कि चुनाव आयोग को यह अधिकार दिया जाए कि वह जाति, धर्म, भाषा या समुदाय के आधार पर वोट मांगने वाले उम्मीदवार का नामांकन रद कर सके और संबंधित पोलिटिकल पार्टी की मान्यता समाप्त कर सके।

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साथ ही सर्वोच्‍च न्‍यायालय से गुजारिश की गई है कि चुनाव आयोग को जाति, धर्म, भाषा और समुदाय के आधार पर वोट मांगने वालों के खिलाफ आई शिकायतों को उचित जांच एजेंसी को भेजने का अधिकार दिया जाए। पिछले हफ्ते ही सुप्रीम कोर्ट ने सांसद मिनाक्षी लेखी की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से राफेल मामले में कोर्ट के आदेश को गलत ढंग से पेश करने पर सफाई मांगी थी। उक्‍त मामले में अदालत मंगलवार को सुनवाई करेगी। इस बीच यह नई जनहित याचिका महत्वपूर्ण हो गई है। हालांकि, इस याचिका पर सुनवाई की अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है।

यह नई याचिका भाजपा नेता और वकील अश्‍वीनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की है। याचिका में बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा बीते सात अप्रैल को गठबंधन की संयुक्त रैली के दौरान मुस्लिम समुदाय से उनके उम्मीदवार को वोट करने की अपील और 10 अप्रैल को राफेल मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत ढंग से पेश करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई टिप्पणी का भी जिक्र है।

जनप्रतिनिधि कानून की धारा 123(3) का दिया हवाला
याचिका में कहा गया है कि जनप्रतिनिधि कानून की धारा 123(3) कहती है कि जाति, धर्म, समुदाय एवं भाषा आदि के नाम पर वोट मांगने और दो समुदायों के बीच वैमनस्य बढ़ाने को 'चुनाव का भ्रष्ट तरीका' माना जाएगा, लेकिन इसे केवल चुनाव याचिका के जरिए ही मुद्दा बनाया जा सकता है। ऐसे मामले में भले ही चुनाव आचार संहिता लागू हो फ‍िर भी चुनाव आयोग जांच के आदेश नहीं दे सकता है। जबकि विडंबना है कि ये प्रावधान केवल चुनाव के दौरान ही लागू होते हैं।

गोस्वामी कमेटी और विधि आयोग की सिफारिशों का भी उल्‍लेख
याचिका में कहा गया है कि कानून में चुनाव हारने वाले उम्मीदवार के खिलाफ 'चुनाव का भ्रष्ट तरीका' अपनाने को चुनौती देने का कोई प्रावधान नहीं है। उपरोक्त आधारों पर वोट मांगना स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करता है। चुनाव सुधार के लिए गोस्वामी कमेटी और विधि आयोग की सिफारिशों का भी याचिका में हवाला दिया गया है।  


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