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Make In India: भारतीय नौसेना के लिए 45 फीसद हथियार देश में ही तैयार हो रहे हैं

तैरने वाली श्रेणी में 90 फीसद उपकरण देश में ही तैयार हो रहे हैं जबकि चलने वाली श्रेणी में 65 फीसद उपकरण देश में ही बनाए जा रहे हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 07:36 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 07:36 PM (IST)
Make In India: भारतीय नौसेना के लिए 45 फीसद हथियार देश में ही तैयार हो रहे हैं
Make In India: भारतीय नौसेना के लिए 45 फीसद हथियार देश में ही तैयार हो रहे हैं

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय नौसेना के लिए युद्धक श्रेणी के 45 फीसद स्वदेशी उपकरण बनाए जा रहे हैं। इन युद्धक उपकरणों में हथियारों के साथ रडार भी बड़े पैमाने पर भारत में ही बनाए जाएंगे। नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यह देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के लिए बहुत बड़ा अवसर है।

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'तैरने वाली श्रेणी' में 90 फीसद उपकरण देश में ही तैयार हो रहे हैं

रीयल एडमिरल एसएन अलमंदा ने मंगलवार को एक वेबनार में कहा कि भारतीय जहाजों के जंगी बेड़ों के लिए पहले ही 130 जहाज और पनडुब्बियां हैं। हमारे जंगी बेड़ों के लिए और 46 जहाजों और पनडुब्बियों के स्वदेश में ही निर्माण का आर्डर दिया है। यह हमारे लिए बेहद गर्व की बात है कि 'तैरने वाली श्रेणी' में 90 फीसद उपकरण देश में ही तैयार हो रहे हैं जबकि 'चलने वाली श्रेणी' में 65 फीसद उपकरण यहां बनाए जा रहे हैं।

'तैरने वाली श्रेणी' में जहाज के ढांचे और बनावट से जुड़े सामान, उपकरण आते हैं

'तैरने वाली श्रेणी' में जहाज के ढांचे और बनावट से जुड़े सामान, उपकरण और प्रणाली आते हैं, जबकि 'चलने वाली श्रेणी' में प्रपलजन सिस्टम, पावर जनरेशन टरबाइन इंजन आदि। युद्धक श्रेणी में जहाज में लगने वाले सभी तरह के हथियार, युद्धक उपकरण और सेंसर सिस्टम आते हैं। उन्होंने कहा कि अब युद्धक श्रेणी के 45 फीसद हथियार, सेंसर और रडार करीब अपने ही देश में बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह देखते हुए लगता है कि एमएसएमई के लिए नौसेना के लिए काम करने का यह बेहतरीन अवसर है। इस विधा में काम करने के लिए हमारे एमएसएमई को हमारी बड़ी इकाइयों के साथ करार करने होंगे और डीआरडीओ से भी तालमेल रखना होगा।

होवित्जर तोपों के लिए और गोला बारूद मंगाएगी सेना

नई दिल्ली, एएनआइ : सरकार के सशस्त्र सेनाओं को आपात जरूरतों के लिए कम पड़ रहे अहम उपकरणों की खरीद की मंजूरी के बाद भारतीय सेना एक्सकैलिबर आíटलरी एम्युनिशन यानी होवित्जर तोपों के लिए और गोला बारूद खरीदने की योजना बना रही है। इन बेहद हल्की होवित्जर तोपों को ऊंची पहाडि़यों पर तैनात किया जा सकता है।

रक्षा सूत्रों के मुताबिक एक्सकैलिबर आर्टिलरी एम्युनिशन सटीक निशाना साधने और दुश्मन को तबाह करने में सक्षम है। ये बेहद घनी आबादी में भी दुश्मन के लक्ष्य को पूरी सटीकता से 50 किमी से ज्यादा दूरी से निशाना बना सकता है।

अमेरिका से खरीदी होवित्जर तोपों को भारतीय सेना में शामिल किया गया

पिछले साल अक्टूबर में ही अमेरिका से खरीदी होवित्जर तोपों को भारतीय सेना में शामिल किया गया है। यह बेहद सटीक निशाना लगाने वाली तोपें हैं जिनमें एक्सकैलिबर आíटलरी एम्युनिशन का इस्तेमाल होता है। अब सशस्त्र सेनाओं के पास फिर से वित्तीय ताकत आने से उन्होंने इसकी और खेंप मंगाने का फैसला किया है। यह फैसला तब लिया जा रहा है कि जब एलएसी पर चीनी सेना ने ऊंची चोटियों पर तोपों की तैनाती कर रखी है। लिहाजा भारत को भी ऐसा करने की जरूरत है।


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