पोर्टल पर रहेगा वाहनों का लेखाजोखा, कागजी दस्तावेजों की नहीं पड़ेगी जरूरत
अक्टूबर से वाहनों से जु़ड़े दस्तावेज जैसे ड्राइविंग लाइसेंस और ई-चालान का का लेखाजोखा एक पोर्टल पर रखा जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से जिन दस्तावेजों को प्रमाणित कर लिया जाएगा उन्हें कागजी तौर पर प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं होगी।
नई दिल्ली,एजेंसी। ट्रैफिक नियमों का बेहतर अनुपालन सुनिश्चित करने और नागरिकों की सहूलियत को देखते हुए सरकार लगातार डिजिटल की ओर कदम बढ़ा रही है। इसी दिशा में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने जानकारी दी है कि पहली अक्टूबर से वाहनों से जु़ड़े दस्तावेज जैसे ड्राइविंग लाइसेंस और ई-चालान का का लेखाजोखा एक पोर्टल पर रखा जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से जिन दस्तावेजों को प्रमाणित कर लिया जाएगा, उन्हें कागजी तौर पर प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं होगी। लाइसेंसिंग अथॉरिटी द्वारा निरस्त कर दिए गए ड्राइविंग लाइसेंस की जानकारी भी पोर्टल पर दर्ज रहेगी और अपडेट की जाती रहेगी।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बताया कि इस संबंध में हाल ही में नोटिफिकेशन जारी किया गया था। मंत्रालय का कहना है कि सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) एवं इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के इस्तेमाल से ट्रैफिक नियमों का बेहतर अनुपालन सुनिश्चित होगा। इससे चालकों का उत्पीड़न भी रकेगा और लोगों को सहूलियत होगी।
मंत्रालय ने बताया कि किसी दस्तावेज को जांच के लिए मांगे जाने पर तारीख, समय और जांच करने वाले अधिकारी की पहचान भी पोर्टल के रिकॉर्ड में रखनी होगी। इससे अनावश्यक रूप से किसी वाहन की बार-बार जांच नहीं करनी पड़ेगी। गाड़ी चलाते समय किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के प्रयोग को लेकर भी नियम तय किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि ड्राइविंग के दौरान केवल रूट नेविगेशन (रास्ता जानने) के लिए ही ऐसे किसी उपकरण के प्रयोग की अनुमति रहेगी। ऐसे उपकरण के प्रयोग के समय यह देखना होगा कि उससे ड्राइवर का ध्यान भंग न हो।
अनिवार्य होगी ई-इनवॉइसिंग
सरकार जीएसटी ई-इनवॉइसिंग के मामले में और राहत देने की तैयारी में नहीं है। 500 करोड़ रुपये से ज्यादा के सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए पहली अक्टूबर से ई--इनवॉइसिंग अनिवार्य हो जाएगी। हालांकि उद्योग जगत के प्रतिनिधि इसे अनिवार्य के बजाय स्वैच्छिक रखने की मांग कर रहे हैं। सरकार ने हालांकि छोटे कारोबारियों को राहत दी है। पहले 100 करोड़ रपये से ज्यादा के सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए ई-इनवॉइसिंग अनिवार्य करने की तैयारी थी, लेकिन अब इसे 500 करोड़ कर दिया गया है। यह व्यवस्था पहली अप्रैल से ही लागू की जानी थी, जिसे सरकार ने ब़़ढाकर पहली अक्टूबर कर दिया था।