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1921 में अयोध्‍या में महात्‍मा गांधी ने किए थे सीताराम की मूर्ति के दर्शन

1921 में महात्‍मा गांधी अयोध्‍या गए थे और उस वक्‍त उन्‍होंने वहां सीताराम मूर्ति के दर्शन किए। इसका विवरण गांधी वाड्मय खंड में है।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 04:14 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 04:29 PM (IST)
1921 में अयोध्‍या में महात्‍मा गांधी ने किए थे सीताराम की मूर्ति के दर्शन
1921 में अयोध्‍या में महात्‍मा गांधी ने किए थे सीताराम की मूर्ति के दर्शन

नई दिल्‍ली, अतुल पटैरिया। महात्‍मा गांधी देश में कई नगरों की यात्रा करते हुए लखनऊ पहुंचे थे और उन्‍होंने 26 फरवरी, 1921 को लखनऊ में खिलाफत सभा में भाषण किया था। इसी समय वे अयोध्‍या भी गए थे। गांधी की इस अयोध्‍या-यात्रा का विवरण 'गांधी वाड्मय खंड' 19, पेज 461 पर दिया गया है, जो नवजीवन अखबार में 20 मार्च 1921 को छपा। 

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सीताराम मूर्तियों को पहनाएं खादी केे वस्‍त्र 

गांधी ने नवजीवन, 20 मार्च 1921 को इसका विवरण इस प्रकार दिया है- 'अयोध्‍या में जहां रामचंद्र जी का जन्‍म हुआ, कहा जाता है उसी स्‍थान पर छोटा-सा मंदिर है। जब मैं अयोध्‍या पहुंचा तो वहां मुझे ले जाया गया। श्रद्धालु असहयोगियों ने मुझे सुझाव दिया कि मैं पुजारी से विनती करूं कि वह सीताराम की मूर्तियों के लिए पवित्र खादी का उपयोग करें। मैंने विनती तो की, लेकिन उसपर अमल शायद ही हुआ हो। जब मैं दर्शन करने गया तब मैंने मूर्तियों को भौंडी मलमल और जरी के वस्त्रों में पाया। यदि मुझमें तुलसीदासजी जितनी गाढ़ भक्ति की साम‌र्थ्य होती तो मैं भी उस समय तुलसीदासजी की तरह हठ पकड़ लेता। कृष्ण मंदिर में तुलसीदासजी ने प्रतिज्ञा की थी कि जब तक धनुषबाण लेकर कृष्ण राम रूप में प्रकट नहीं होते तब तक तुलसी-मस्तक नहीं झुकेगा। श्रद्धालु लेखकों का कहना है कि जब गोस्वामी ने ऐसी प्रतिज्ञा की तब चारों ओर उनकी आंखों के सामने रामचंद्रजी की मूर्ति खड़ी हो गई और तुलसीदासजी का मस्तक सहज ही नत हो गया। अनेक बार मेरा ऐसा हठ करने का मन हो आता है कि हमारे ठाकुरजी को जब पुजारी खादी पहनाकर स्वदेशी बनायेंगे तभी हम अपना माथा झुकायेंगे। लेकिन, मुझे पहले इतना तप करना होगा, तुलसीदासजी की अपूर्व भक्ति को प्राप्त करना होगा..।'

गांधी वाड्मय में है विवरण 

नई दिल्ली स्थित केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष डॉ. कमल किशोर गोयनका ने दैनिक जागरण को बताया कि गांधी वाड्मय में महात्मा गांधी के जीवन के विभिन्न कालखंडों की विभिन्न स्मृतियों का विवरण संकलित है। इनका संकलन नवजीवन ट्रस्ट, अहमदाबाद, गुजरात द्वारा किया गया। इसके खंड-19 में नवंबर, 1920 से लेकर अप्रैल, 1921 के विवरण दर्ज हैं। वर्ष 1966 में इस खंड को प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित किया गया।

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