वर्क प्लेस पर महिलाओं से यौन उत्पीड़न के मामलों में महाराष्ट्र टॉप पर, जानें यूपी व दिल्ली की स्थिति
कार्यस्थलों (work places) पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों में महाराष्ट्र देश में टॉप पर है। ऐसी घटनाओं में बाकी राज्यों की स्थिति जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट...
नई दिल्ली, आइएएनएस। Maharashtra tops in physical harassment कार्यस्थलों (work places) पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों में महाराष्ट्र देश में टॉप पर है जबकि उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। केंद्र सरकार ने शी-बॉक्स (SHe-Box) में दर्ज शिकायतों के आधार पर ये आंकड़े जारी किए हैं। समाचार एजेंसी आइएएनएस की मानें तो अभी तक आम धारणा थी कि महिलाओं के लिए महाराष्ट्र सबसे सुरक्षित राज्य है।
यौन उत्पीड़न इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स या SHe-Box एक ऑनलाइन शिकायत प्रणाली है जिसे महिला कर्मचारियों (सरकारी या निजी क्षेत्र) की मदद के लिए भारत सरकार ने विकसित किया है। इसमें कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतें ऑनलाइन दर्ज की जाती हैं। SHe-Box पोर्टल में एकबार शिकायत दर्ज हो जाने पर यह सीधे संबंधित प्राधिकारी के पास पहुंचती है जिसके पास कार्रवाई करने का अधिकार होता है। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों में साल 2017 से मिली शिकायतों की संख्या का ब्यौरा भी शामिल है।
केंद्र सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक यौन उत्पीड़न से जुड़ी 203 शिकायतों का निस्तारण इस पोर्टल के मार्फत किया जा चुका है। इनमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार और निजी क्षेत्र की महिला कर्मचारियों की शिकायतें शामिल हैं। सरकार की आर से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र से सबसे अधिक 82 शिकायतें सामने आईं जबकि उत्तर प्रदेश से 65 मामले दर्ज किए गए। दिल्ली से 50 जबकि तमिलनाडु से 48 मामले दर्ज किए गए।
केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्यों से अपेक्षा की है कि वे महिलाओं को इस तरह के प्लेटफार्मों से अवगत कराएं ताकि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने (fight against the physical harassment) के लिए तंत्र को मजबूत किया जा सके। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि कई राज्य ऐसे हैं जहां से कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न की शिकायतें नहीं मिली हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि उन राज्यों में ऐसी कोई घटना नहीं हुई। कई बार महिलाएं विभिन्न कारणों की वजह से ऐसी शिकायतें नहीं कर पाती हैं। ऐसे में राज्यों को चाहिए कि वे महिलाओं को ऐसे अपराधों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करें।