महाराष्ट्र सरकार ने बीज कंपनियों पर ठोंका 1200 करोड़ का जुर्माना
देश में यह पहला अवसर है जब किसानों को हुए नुकसान के मुआवजे में बीज कंपनियों को भी भागीदार बनाया जा रहा है।
मुंबई। कपास की खेती में नुकसान उठाने वाले किसानों को महाराष्ट्र सरकार अब बीज कंपनियों से मुआवजा दिलवाएगी। ऐसी 60 कंपनियों को करीब 1200 करोड़ रुपये मुआवजा देने के निर्देश राज्य सरकार के कृषि आयुक्त कार्यालय ने दिए हैं। देश में यह पहला अवसर है जब किसानों को हुए नुकसान के मुआवजे में बीज कंपनियों को भी भागीदार बनाया जा रहा है।
किसानों को यह नुकसान बीटी काटन के बीज का उपयोग करने से हुआ है। महाराष्ट्र के 29 जिलों में 42 लाख हेक्टेअर में कपास की खेती करनेवाले करीब 55 लाख किसानों को पिछले साल नुकसान उठाना पड़ा। इनकी फसलों को पिंक बॉलवार्म नामक कीट ने भारी नुकसान पहुंचाया। इस नुकसान का जिम्मेदार बीज को मानते हुए करीब 14 लाख किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की थी।
महाराष्ट्र काटन सीड्स (बिक्री, आपूर्ति, वितरण एवं विक्रय मूल्य) अधिनियम, 2009 के अनुसार यदि कोई किसान बीज के कारण हुए नुकसान की शिकायत करता है, तो सरकार दोनों पक्षों के विचार जानकर फैसला सुनाने के लिए एक समिति का गठन कर सकती है।
इतने बड़े पैमाने पर किसानों से शिकायत मिलने के बाद इसी अधिनियम के तहत राज्य सरकार के कृषि आयुक्त ने किसानों की शिकायतें सुनने का फैसला किया। इस कड़ी में अब तक करीब 10 लाख किसानों की शिकायतें सुनी जा चुकी हैं।
किसानों की सुनवाई के बाद सरकार ने किसानों को मुआवजा देने के लिए तीन तरीके अपनाए हैं। पहला, फसल बीमा योजना से। दूसरा, राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से। और तीसरा, किसानों को बीज आपूर्ति करनेवाली कंपनियों से। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि देश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर न सिर्फ किसानों की सुनवाई की गई है, बल्कि किसानों को हुए नुकसान के लिए बीज कंपनियों को नोटिस भी भेजा गया है।
कृषि आयुक्त ने बीज कंपनियों को जवाब देने के लिए एक माह का समय दिया है। हालांकि बीज कंपनियां सरकार के आदेश को न्यायालय में चुनौती दे सकती हैं। इससे उनकी ओर से मिलनेवाले मुआवजे में देरी हो सकती है। बीज आपूर्ति करनेवाली 60 कंपनियों में मानसेंटो जैसी बड़ी कंपनी भी शामिल है। इसके बावजूद पहली बार सरकार बिना किसी दबाव के इन कंपनियों पर कार्रवाई करने का मन बनाती दिखाई दे रही है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं उससे जुड़े किसान संगठन काफी पहले से मानसेंटो जैसी बीज कंपनियों का विरोध करते रहे हैं। अब इन कंपनियों द्वारा बेचे गए बीज से हुए नुकसान का प्रत्यक्ष प्रमाण भी मिल गया है।