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बाढ़ में फंसी ट्रेन में 10 घंटे अटके रहे 1050 यात्री, जानें कैसे चला NDRF का रेसक्यू ऑपरेशन

मुंबई से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर 10 घंटों से यात्री फंसे हुए थे। NDRF की 4 टीमें ने 8 नावों की मदद से यात्रियों को निकाला।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 27 Jul 2019 08:11 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jul 2019 08:21 PM (IST)
बाढ़ में फंसी ट्रेन में 10 घंटे अटके रहे 1050 यात्री, जानें कैसे चला NDRF का रेसक्यू ऑपरेशन
बाढ़ में फंसी ट्रेन में 10 घंटे अटके रहे 1050 यात्री, जानें कैसे चला NDRF का रेसक्यू ऑपरेशन

मुंबई, राज्य ब्यूरो। मुंबई से कोल्हापुर के लिए निकली महालक्ष्मी एक्सप्रेस (17411) ट्रेन के बाढ़ में फंस जाने के कारण करीब 1050 यात्री लगभग 10 घंटे ट्रेन में अटके रहे। बचाव दलों के अथक प्रयास से शनिवार शाम चार बजे तक सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। अब यात्रियों को एक विशेष ट्रेन से दूसरे रेलमार्ग से कोल्हापुर रवाना किया जा रहा है।

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मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में शुक्रवार सुबह से ही रह-रहकर भारी बारिश हो रही थी। जिसके कारण मुंबई से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित बदलापुर स्टेशन और वांगणी गांव के बीच उल्हास नदी का पानी अचानक रेल की पटरियों पर आ गया और पटरियां डूब गईं।

पानी में डूबी पटरियां
मध्य रेलवे के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी ए.के.जैन के मुताबिक ट्रेन तड़के 3.53 बजे बदलापुर से आगे बढ़ी तो वांगणी पार करने से पहले ही रेल पटरियों के पानी में डूब जाने के कारण उसका आगे बढ़ना मुश्किल हो गया। खतरा यह भी था कि जलस्तर कम होने के बजाय लगातार बढ़ता जा रहा था। सुबह होते ही शुरू हुए अपनी तरह के इस पहले अभियान में ठाणे आपदा प्रबंधन, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन, स्थानीय पुलिस, आरपीएफ और स्थानीय ग्रामवासियों ने मिलकर बचाव कार्य शुरू कर दिया।

सुरक्षित निकाले गए यात्री
करीब 10 घंटे चले बचाव अभियान के फलस्वरूप सभी 1050 यात्रियों के सुरक्षित निकाल लिया गया। जैन के अनुसार कोल्हापुर जा रहे यात्रियों को अब एक विशेष ट्रेन से निकटतम स्टेशन कल्याण से मडगांव एवं दौंड होते हुए कोल्हापुर भिजवाने की व्यवस्था की जा रही है।

हल्की नौकाओं के जरिए यात्रियों को निकाला गया
इस दौरान ट्रेन के अंदर मौजूद मध्य रेलवे की टीम यात्रियों को लगातार नीचे न उतरने और धीरज रखने की सलाह देती रही। आरपीएफ, बदलापुर से ट्रेन तक पहुंचे रेलवे स्टाफ एवं स्थानीय ग्रामीण यात्रियों को खाद्य सामग्री एवं बिस्कुट इत्यादि देकर राहत पहुंचाते रहे। मध्य रेल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुनील उदेसी के अनुसार आठ हल्की नौकाओं के जरिए यात्रियों को सुरक्षित स्थान पर लाया गया। पहले महिलाओं और बच्चों को, उसके बाद पुरुषों को सुरक्षित निकाला गया।

ट्रेन में सवार थी नौ गर्भवती महिलाएं  
सुरक्षित निकाले गए यात्रियों में नौ गर्भवती महिलाएं भी शामिल थीं। ट्रेन से निकाले गए यात्रियों को 14 बसों और तीन टैम्पो से बदलापुर स्थित सह्याद्रि मंगल कार्यालय नामक बारात घर में शरण दी गई। शाम चार बजे तक सभी यात्रियों के सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया था।

सेना के हेलीकॉप्टर की भी ली गई मदद
मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के निर्देश पर भारतीय नौसेना की टीमें एवं उसके दो हेलीकॉप्टर भी बाढ़ में फंसी ट्रेन पर मंडरा रहे थे। कुछ लोगों को सी-किंग हेलीकॉप्टर से बाहर भी निकाला गया। लेकिन खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर अधिक मददगार साबित नहीं हुई। 

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