मध्य प्रदेश: सेवानिवृत्ति उम्र 62 साल पर मनरेगा में 90 की आयु में भी मिल रहा काम
मध्य प्रदेश में 15 हजार वयोवृद्ध मनरेगा श्रमिक कार्यरत। 61 से 80 साल की उम्र के तीन लाख से ज्यादा कर रहे काम।
जबलपुर, नीरज उपाध्याय। मध्य प्रदेश सरकार अपने कर्मचारियों-अधिकारियों को 62 वर्ष की उम्र में वृद्ध मानकर सेवानिवृत्त कर देती है, लेकिन महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में मजदूरों की सेवानिवृत्ति की कोई उम्र नहीं है। प्रदेश के मनरेगा के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। प्रदेश में 15 हजार से ज्यादा मजदूर 90 साल की आयु में काम कर रहे हैं जबकि तीन लाख से ज्यादा मजदूर 61 से 80 साल के हंै।
ये आंकड़े गले नहीं उतर रहे हंै परंतु मनरेगा की वेबसाइट और जिला पंचायत के अधिकारियों का दावा है कि योजना में इतने उम्रदराज मजदूर भी कार्यरत हैं। जीवन के आखिरी पड़ाव में पहंुचने वाले इन मजदूरों को सिर्फ पानी पिलाने और कार्यो की देखरेख करने की मजदूरी दी जाती है।
न्यूनतम उम्र की सीमा तय पर अधिकतम का जिक्र का नहीं
मनरेगा कानून में कार्य के इच्छुक श्रमिक की न्यूनतम आयु की सीमा तय की गई है, लेकिन अधिकतम आयु का जिक्र नहीं है। श्रमिक का कम से कम 18 वर्ष की आयु का होना अनिवार्य है, लेकिन ज्यादा से ज्यादा आयु के बारे में कुछ भी निर्धारित नहीं है।
उम्र की श्रेणियां निर्धारित
सरकार ने मनरेगा में काम करने वाले और काम मांगने वालों की उम्र के आधार पर अलग-अलग श्रेणियां बना रखी हैं। इसकी शुरआत 18 से लेकर 80 वर्ष व उससे अधिक तक मानी गई है। पहली श्रेणी 18 से 30 वर्ष तक, दूसरी श्रेणी 31 से 40 वर्ष तक, तीसरी श्रेणी 41 से 50 वर्ष तक, चौथी श्रेणी 51 से 60 वर्ष तक, पांचवीं श्रेणी 61 से 80 वर्ष तक और अंतिम श्रेणी 80 वर्ष से अधिक आयु वाले श्रमिकों की है। प्रदेश में 80 से 90 साल के बीच के करीब 3 हजार मजदूर फिलहाल कार्य कर रहे हैं , जिन्हें 190 प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी मिल रही है।
मप्र में कार्यरत मजूदरों की उम्र और संख्या
-18 से 30 वर्ष : 6 लाख 38 हजार 451
-31 से 40 वर्ष : 16 लाख 59 हजार 612
-41 से 50 : 12 लाख 97 हजार 982
-51 से 60 वर्ष : 7 लाख 58 हजार 367
-61 से 80 वर्ष : 3 लाख 33 हजार 571
-90 वर्ष : 15 हजार 88 वयोवृद्ध कार्यरत
18 से लेकर 90 साल तक के मजदूरों को मनरेगा से काम दिया जा रहा है। फर्क सिर्फ इतना है कि ज्यादा उम्र के मजदूरों को पीएम आवास के तहत बनने वाले निर्माण कार्य में काम दिया जाता है। वहां उनसे पानी पिलाने का काम लिया जाता है।
-मनोज सिंह, अतिरिक्त सीईओ, जिला पंचायत, जबलपुर मप्र