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मध्‍य प्रदेश में मुफ्त सिलेंडरों से भी आदिवासियों की रसोई नहीं हो पाई 'उज्जवल'

कई परिवारों ने तो फ्री में मिले गैस सिलेंडरों को होटल व चाय-नाश्तों की दुकानों पर बेच दिया है और खुद अभी भी धुएं से जूझकर लकड़ियां जलाकर खाना पका रहे हैं।

By Pratibha KumariEdited By: Published: Wed, 21 Mar 2018 08:20 AM (IST)Updated: Wed, 21 Mar 2018 08:23 AM (IST)
मध्‍य प्रदेश में मुफ्त सिलेंडरों से भी आदिवासियों की रसोई नहीं हो पाई 'उज्जवल'

श्‍योपुर, नईदुनिया। मध्‍य प्रदेश स्थित श्योपुर जिले के आदिवासी परिवारों को उज्जवला योजना रास नहीं आ रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि 8 से 11 महीने पहले जो आदिवासी परिवार निशुल्क गैस कनेक्शन लेकर गए, वह गैस सिलेंडर रि-फिलिंग कराने नहीं लौटे। ऐसे एक, दो नहीं बल्कि 80 फीसदी से ज्यादा आदिवासी परिवार हैं।

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कई परिवारों ने तो फ्री में मिले गैस सिलेंडरों को होटल व चाय-नाश्तों की दुकानों पर बेच दिया है और खुद की रसोई में अभी भी धुएं से जूझकर लकड़ियां जलाकर खाना पका रहे हैं।

श्योपुर जिले में उज्जवला योजना के तहत अब तक 42 हजार 94 गरीबों को निशुल्क गैस कनेक्शन बांटे गए हैं। इन 42 हजार में से 21 हजार से ज्यादा तो ऐसे आदिवासी परिवार हैं, जिन्हें 4 से 10 महीने पहले उज्जवला योजना के तहत निशुल्क गैस कनेक्शन दिए गए।

चार से पांच सदस्यों के एक मध्यम परिवार में गैस सिलेंडर डेढ़ से दो महीने में खत्म हो जाता है। यानी एक परिवार साल में 8 से 10 गैस सिलेंडर खर्च करता है, लेकिन आदिवासी परिवार 10-10 महीने बाद भी एक बार भी सिलेंडर को दोबारा भरवाने गैस एजेंसी तक नहीं पहुंचे।

श्योपुर शहर में रहे आदिवासी तो तीन-चार महीने में गैस सिलेंडर रिफिल करवा रहे हैं, लेकिन कराहल, विजयपुर, अगरा और वीरपुर क्षेत्र के आदिवासी परिवार एक बार गैस कनेक्शन ले जाने के बाद गैस एजेंसियों पर दोबारा नहीं आ रहे।

न संसाधन, न ही गांवों में होम डिलीवरी
यदि आदिवासी परिवार गैस सिलेंडर रिफिल नहीं करवाने का दोष केवल आदिवासी परिवारों का नहीं कहा जा सकता। जिले के अधिकांश गांवों में पक्की सड़कें तो हैं, लेकिन आवागमन के साधन नहीं।

इस कारण भारी-भरकम सिलेंडर को आदिवासी परिवार शहर तक लाने ले जाने से किनारा करते हैं। इसके अलावा गैस एजेंसियों ने आदिवासी परिवारों को गांव-गांव में कनेक्शन तो दे दिए, लेकिन उन गांवों में सिलेंडर की सप्लाई शुरू नहीं की।

एक नजर में उज्जवला योजना
- जिले में 83 हजार 374 गरीब परिवारों को मिलना है लाभ।
- इनमें से 46 हजार 194 के आवेदन अब तक फूड विभाग के जरिए गैस एजेंसी तक पहुंच चुके हैं।

- पूरे जिले में अब तक 42 हजार 94 परिवारों को मिल चुके हैं निशुल्क कनेक्शन।

- 4100 परिवार ऐसे हैं, जिनके आवेदन गैस एजेंसियों पर पेंडिंग पड़े हैं।

- शहर के आदिवासी व अन्य गरीब परिवार सिलेंडर रिफिलिंग करवाने आ जाते हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र से आदिवासी परिवार सिलेंडर भरवाने नहीं आ रहे। हम लोगों को इस बारे में लगातार जागरूक कर रहे हैं।
- विवेक गोयल, संचालक, श्रीहजारेश्वर गैस एजेंसी, श्योपुर


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