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Madhya Pradesh: जांच के लिए उज्जैन के महाकाल मंदिर पहुंचा विशेषज्ञों का दल, आज भस्म का लेंगे नमूना

ज्योतिर्लिग क्षरण का मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद जीएसआइ और एएसआइ के विशेषज्ञों से जांच करवाई जा रही है। विशेषज्ञ इन बिंदुओं पर जांच कर रहे हैं कि विभिन्न द्रव्यों से इस पर क्या प्रभाव पड़ता है इसकी मजबूती कैसी है और यह कितना पुराना है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 09:44 AM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2020 09:44 AM (IST)
Madhya Pradesh: जांच के लिए उज्जैन के महाकाल मंदिर पहुंचा विशेषज्ञों का दल, आज भस्म का लेंगे नमूना
विशेषज्ञों ने महाकाल ज्योतिर्लिग का आकार नापा और कोटितीर्थ के जल का नमूना लिया।

उज्जैन, जेएनएन। ज्योतिर्लिग महाकाल क्षरण की मौजूदा स्थिति जांचने के लिए जीएसआइ और एएसआइ के विशेषज्ञों का दल उज्जैन पहुंचा हुआ है। आज को दल के सदस्य भगवान को अर्पित होने वाली भस्म का भी नमूना लेंगे। भस्म के पीएच मानक भी जांच कराई जाएगी। पूर्व में विशेषज्ञों ने सुझाव दिया था कि क्षरण रोकने के लिए भस्म का पीएच मानक कम होना चाहिए। इससे पहले रविवार को जांच दल ने शिवलिंग का नाप लेकर कई बिंदुओं पर जांच की। इसके बाद कोटितीर्थ के जल का नमूना भी लिया। इसी जल से भगवान का अभिषेक किया जाता है।

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जांच दल में एएसआइ के क्षेत्रीय निदेशक पीके मिश्रा, केमिस्ट मन्नीवन्न के, जीएसआइ के उप महानिदेशक हेमराज सूर्यवंशी, निदेशक वीपी गौर, सीनियर केमिस्ट जीआर माकोड़े आदि शामिल थे। सीबीआरआइ ने की थी स्ट्रक्चर की जांच सितंबर में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ), रड़की की टीम ने महाकाल मंदिर के स्ट्रक्चर की जांच की थी। दल अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करेगा। सीबीआरआइ की रिपोर्ट के आधार पर ही मंदिर परिसर में निर्माण कार्य होंगे।

बता दें कि ज्योतिर्लिग क्षरण का मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद जीएसआइ और एएसआइ के विशेषज्ञों से जांच करवाई जा रही है। विशेषज्ञों का दल पूर्व में भी उज्जैन आ चुका है। हाल ही में कोर्ट के फैसले के बाद एक बार फिर टीम यहां आई है। शिवलिंग किस पाषाण का है, विभिन्न द्रव्यों से इस पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसकी मजबूती कैसी है और यह कितना पुराना है, विशेषज्ञ इन बिंदुओं पर जांच कर रहे हैं।

क्षरण देखा, लंबाई और गोलाई नापी

महाकाल मंदिर पहुंचे दल ने गर्भगृह में पहुंचकर शिवलिंग की गोलाई और लंबाई नापी। इसके लिए कलेवा (नाड़ा) का उपयोग किया गया। दल के सदस्यों ने ज्योतिर्लिग के दोनों ओर हुए क्षरण को देखा और इसकी तस्वीरें लीं। शिवलिंग पर चढ़ाए गए पूजन सामग्री आदि के नमूने भी लिए। इसके बाद गर्भगृह के स्ट्रक्चर की भी जांच की। तापमान आदि के बारे में जानकारी ली। दल ने गर्भगृह के ऊपर के हिस्से में भी स्ट्रक्चर की जांच की। मंदिर अधिकारियों ने उन्हें विभिन्न जानकारियों से अवगत कराया।


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