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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बक्सवाहा में हीरा खनन के लिए पेड़ों की कटाई पर मांगा जवाब

Buxwaha Diamond Mining Case मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान जनहित याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी अधिवक्ता सुदीप कुमार सैनी ने अपना पक्ष स्वयं रखा।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 10:56 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 10:56 PM (IST)
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बक्सवाहा में हीरा खनन के लिए पेड़ों की कटाई पर मांगा जवाब
बक्सवाहा जंगल में ढाई लाख से अधिक हरे-भरे पेड़ों का कत्लेआम करने की है तैयारी

जबलपुर, जेएनएन। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बक्सवाहा में हीरा खनन के लिए पेड़ों की कटाई की अनुमति के मामले में केंद्र व राज्य शासन, आदित्य बिड़ला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग कंपनी सहित अन्य पक्षों से तीन सप्ताह में जवाब-तलब किया है।

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मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान जनहित याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी अधिवक्ता सुदीप कुमार सैनी ने अपना पक्ष स्वयं रखा।

उन्होंने कहा, छतरपुर इलाके में बक्सवाहा जंगल के बीच दबे करीब 50 हजार करोड़ के हीरे हासिल करने के लिए ढाई लाख से अधिक हरे-भरे पेड़ों का कत्लेआम करने की तैयारी है। इसे लेकर आंदोलन शुरू हो गया है। वन अधिकार कार्यकर्ता इस क्षेत्र में रहने वाले वन्य प्राणियों व आम जनता के हित को देखते हुए पेड़ काटे जाने का विरोध कर रहे हैं। इंटरनेट मीडिया पर भी अभियान छेड़ा गया है। कोरोनाकाल में आक्सीजन की अहमियत सामने आ चुकी है। पेड़ आक्सीजन के स्रोत होते हैं। लिहाजा, उनको हीरे से अधिक कीमती समझा जाना चाहिए।

जंगल को कटने से बचाने के लिए लोगों ने खून से लिखा खत

वहीं, दूसरी ओर मध्यप्रदेश के बक्सवाहा जंगल को बचाने के लिए बुंदेलखंड के लोग जुट गए हैं। बुंदेली समाज ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान छेड़ने वाले अन्ना हजारे को भी खून से लिखा खत भेजा है। बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने भेजे गए पत्र में कहा है कि आपको मजबूर होकर खत लिख रहे हैं। प्लीज बुंदेलखंड के बेशकीमती जंगल बक्सवाहा को बचाने में हमारी मदद कीजिए।

जंगल में हीरा भंडार के कारण मध्य प्रदेश सरकार ने 2.15 लाख पेड़ों का काटने का फरमान जारी कर दिया है। इससे पहले प्रधानमंत्री, यूपी व एमपी के मुख्यमंत्री और केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री को भी पत्र लिख चुके हैं। 


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