Move to Jagran APP

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जजों ने जमानत के लिए रखी अनोखी शर्त, राहत कोष में जमा हो गए लाखों

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के दो न्यायाधीशों की एक अनोखी शर्त से पिछले कुछ माह से आर्मी वेलफेयर फंड और पीएम केयर्स फंड को अच्छा-खासा दान मिला है।

By TaniskEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2020 09:29 AM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 09:29 AM (IST)
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जजों ने जमानत के लिए रखी अनोखी शर्त, राहत कोष में जमा हो गए लाखों
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जजों ने जमानत के लिए रखी अनोखी शर्त, राहत कोष में जमा हो गए लाखों

बलबीर सिंह, ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के दो न्यायाधीशों की एक अनोखी शर्त से पिछले कुछ माह से आर्मी वेलफेयर फंड और पीएम केयर्स फंड को अच्छा-खासा दान मिला है। इतना ही नहीं आरोपितों से करीब 30 हजार पौधे भी लगवाए जा चुके हैं। यह सब हुआ है, हाई कोर्ट के दो न्यायमूर्तियों की अलग सोच के कारण। दोनों आरोपितों की जमानत के लिए वेलफेयर फंड्स में राशि जमा करने की शर्त लगाते हैं। कई बार जब आरोपित की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती तो उसे पौधे लगाने का भी निर्देश देते हैं। यह सिलसिला करीब एक साल से चल रहा है, लेकिन कोरोना काल में जो जमानत दी जा रही हैं, उनमें से अधिकतर शर्ते पीएम केयर्स फंड में राशि जमा करने की ही है या पलायन कर रहे लोगों की सेवा करने की होती है।

loksabha election banner

वकीलों के एक अनुमान के मुताबिक पिछले छह माह में ही करीब 25 लाख रुपये कई तरह के राहत फंड में जमा हो चुके हैं। काम पूरा कर पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट भी जस्टिस तलब करते हैं। यह रिपोर्ट जिला न्यायालय के जज या विभाग के अधिकारियों को पेश करनी होती है। हिंदी में लिखते हैं आदेश जिससे आरोपितों को शर्त की अहमियत समझ आए : यूं तो हाई कोर्ट का कामकाज अमूमन अंग्रेजी में ही होता है, लेकिन दोनों ही जस्टिस जब अनोखी शर्त लगाते हैं तो आदेश हिंदी में लिखते हैं। कोर्ट की मंशा होती है कि ऐसा करने पर शर्त की सही भावना आरोपितों तक पहुंच जाए।

जमानत पाने के लिए ऐसी अनूठी शर्ते

1-जस्टिस शील नागू- जस्टिस शील नागू अपने आदेश में तीन अनोखी शर्त लगाते हैं। किसी को 25 पौधे लगाने की जिम्मेदारी दी गई। साथ ही छह महीने तक उस व्यक्ति को पौधे की रक्षा करनी होगी। पौधे लगाए या नहीं, उसकी रिपोर्ट भी पुलिस के माध्यम से आती है। शासकीय स्कूल में सेवा के लिए भेजा रहा है। वहां पर साफ-सफाई के साथ-साथ स्कूल के विकास पर भी कुछ खर्च करने की जिम्मेदारी दी गई।  आरोग्य शाला, मर्सी होम, सुधार गृह में जरूरी सामान दान करने के निर्देश। जैसे- आरोग्य शाला में मरीजों के लिए एसी लगवाएं। मर्सी होम, नारी निकेतन आदि में किचन के सामान दान कराए गए। -- लॉकडाउन के दौरान कोरोना योद्धा बनकर सेवा करने को भी कहा।

2- जस्टिस आनंद पाठक- जस्टिस आनंद पाठक के आदेश में लॉकडाउन के दौरान आरोपितों से पीएम केयर्स फंड में पैसे जमा कराए गए। आरोग्य सेतु एप भी डाउनलोड करने के निर्देश दिए गए। सैनिकों की मदद के लिए आर्मी वेलफेयर फंड में पैसे जमा कराए जा रहे हैं।आरोपितों को अस्पताल में आने वाले मरीजों की सेवा के लिए भेजा गया। साथ ही ओपीडी में आने वाले लोगों की उन्हें मदद करने की जिम्मेदारी दी। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी बनवाए गए।

केस-1: शिव सिंह यादव को आबकारी एक्ट के तहत मुरैना के टेंटरा थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वह सात अगस्त से जेल में था। जस्टिस शील नागू ने उसे स्कूल में सफाई करने के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर में मदद करने की शर्त लगाई है। जिला शिक्षा अधिकारी को उसके कार्य की रिपोर्ट पेश करनी होगी।

केस-2: राजू उर्फ गट्टा को ग्वालियर के झांसी रोड थाना पुलिस ने 22 जनवरी को आबकारी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया था। जस्टिस आनंद पाठक ने अनोखी शर्ते लगाते हुए आर्मी वेलफेयर फंड में पांच हजार रपये जमा करने के साथ-साथ पांच पीपल लगाने और छह महीने तक उनकी देख-रेख को कहा। 

बंदियों के प्रति समाज के दृष्टिकोण में एक सकारात्मक बदलाव आएगा

ग्वालियर के अतिरिक्त महाधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी के अनुसार माननीय न्यायालय के सशर्त जमानत आदेशों से विचाराधीन बंदियों को समाज में पुनस्थापित करने की दिशा में एक अहम कदम है। इन आदेशों से बंदियों के प्रति समाज के दृष्टिकोण में एक सकारात्मक बदलाव आएगा। माननीय न्यायालय के आदेश से न सिर्फ पर्यावरण, बल्कि समाज भी सुरक्षित एवं संरक्षित होगा।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.