मध्य प्रदेश: सिंध नदी में रेत खनन मामले में हाई कोर्ट ने बनाई जांच कमेटी
मध्य प्रदेश मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को बनाया गया है कमेटी प्रमुख। गूगल इमेज से अतिरिक्त महाधिवक्ता बताएंगे खनन की स्थिति। भिंड निवासी लक्ष्मीनारायण व जितेंद्र सिंह ने सिंध नदी में अवैध खनन के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है।
ग्वालियर, जेएनएन। मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने भिंड जिले में सिंध नदी में हो रहे अवैध रेत खनन के मामले में जांच के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में कमेटी बनाई है। कमेटी नदी में कहां--कहां रेत खनन हो रहा है, मौके पर जाकर रिपोर्ट तैयार करेगी। इसके अलावा अतिरिक्त महाधिवक्ता सेटेलाइट फोटो ([गूगल इमेज)] से बताएंगे कि नदी के कितने क्षेत्र में और कहां--कहां रेत खनन हो रहा है। मामले में अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी।
भिंड निवासी लक्ष्मीनारायण व जितेंद्र सिंह ने सिंध नदी में अवैध खनन के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है। उनके अधिवक्ता उमेश कुमार बोहरे ने बताया कि नदी में ध़़डल्ले से हो रहे अवैध खनन से इसके अस्तित्व को भी खतरा है। नदी के पानी से 200 मीटर दूर खनन होना चाहिए, लेकिन पानी के अंदर से ही खनन किया जा रहा है। पुलिस व प्रशासन इसे रोकने में नाकाम है। रेत माफिया पूरे क्षेत्र में हावी है। खनन से शासन को लाखों रपये राजस्व का भी नुकसान हो रहा है।
जांच कमेटी में ये होंगे
हाई कोर्ट द्वारा गठित जांच कमेटी के अध्यक्ष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट होंगे। खनन अधिकारी, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व व प्रदूषषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी सदस्य होंगे। ये नदी का भौतिक रूप से निरीक्षण कर रेत खनन व पट्टों की जांच करेंगे।
अवैध खनन पर अंकुश के लिए ये निर्देश
-- खदानों पर निगरानी के लिए स्थानीय स्तर पर स्वसहायता समूह बनाएं।
-- खदानों पर चेक पोस्ट बनाएं।
-- वाहनों में जीपीएस लगवाएं।
--प्रवेश व निकासी द्वार पर निगरानी हो।
--अवैध खदानों को बंद कराने के ठोस कदम उठाएं।
-- खदानों पर रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग करें।
--रेत परिवहन में उपयोग होने वाले वाहनों का अलग पंजीयन हो।