गेहूं भंडारण के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने मांगी केंद्र से मदद, कहा- खरीद के साथ करवाएं उठाव
प्रदेश में निर्धारित समय से पांच दिन की देरी (27 मार्च) से इंदौर और उज्जैन संभाग में गेहूं की खरीद प्रारंभ हो गई है। एक अप्रैल से पूरे प्रदेश में समर्थन मूल्य (1975 रपये प्रति क्विंटल) की दर से गेहूं खरीद होने लगेगी।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। मध्य प्रदेश में इस बार भी गेहूं की खरीद का रिकॉर्ड बनने की संभावना है। पिछले साल के मुकाबले साढ़े पांच लाख किसानों द्वारा अधिक पंजीयन कराए जाने और गेहूं का रकबा (क्षेत्र) बढ़ने के कारण सरकार ने 135 लाख टन के हिसाब से खरीद की तैयारी की है। साथ ही भंडारण पर भी सबसे ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि गोदाम पहले से भरे हैं। ऐसे में यदि उठाव नहीं होता है तो समस्या खड़ी हो जाएगी। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्र सरकार से सेंट्रल पूल में खरीद के साथ-साथ गेहूं का उठाव कराने की मांग की है। राज्य नागरिक आपूर्ति निगम ने इसका प्रस्ताव भी भेज दिया है।
प्रदेश में निर्धारित समय से पांच दिन की देरी (27 मार्च) से इंदौर और उज्जैन संभाग में गेहूं की खरीद प्रारंभ हो गई है। एक अप्रैल से पूरे प्रदेश में समर्थन मूल्य (1,975 रपये प्रति क्विंटल) की दर से गेहूं खरीद होने लगेगी। इसके साथ ही भंडारण की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों ने बताया कि गेहूं की खरीद के साथ-साथ भंडारण होता जाएगा। गोदामों में पहले से पिछले साल का 90 लाख टन गेहूं और धान रखा है। भारतीय खाद्य निगम दो माह पहले तक प्रतिमाह सात लाख टन गेहूं ले जा रहा था लेकिन अब पंजाब को प्राथमिकता दी जा रही है। मार्च में सिर्फ दो लाख टन गेहूं मध्य प्रदेश से सेंट्रल पूल में जाएगा। यह स्थिति रही तो आगे चलकर समस्या आएगी। यह बात उपार्जन की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बताई गई थी।
उन्होंने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि गोदामों में रखे अनाज को सेंट्रल पूल में जल्द से जल्द लिया जाए। खरीद के साथ-साथ अनाज लिया जाए, इससे व्यवस्था बनी रहेगी। निगम के प्रबंध संचालक अभिजीत अग्रवाल ने बताया कि हमने भारतीय खाद्य निगम से कहा है कि प्रदेश से सेंट्रल पूल में प्रतिमाह कम से कम आठ लाख टन गेहूं लिया जाए।
चावल के लिए भी दिया था प्रस्ताव
नागरिक आपूर्ति निगम ने धान की मिलिंग कराकर चावल का भी भंडारण करने की जगह सीधे सेंट्रल पूल में देने का प्रस्ताव दिया था। इसे लेकर सहमति भी बन गई थी लेकिन मिलिंग ही नहीं हो पाई। इसमें पेच अभी भी फंसा हुआ है। मिलर्स मौजूदा प्रविधानों के साथ मिलिंग के लिए तैयार नहीं हैं। प्रदेश में करीब चालीस लाख टन धान रखी हुई है।