Madhya Pradesh : सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को सांस लेने में तकलीफ, एयर एम्बुलेंस के जरिए ले जाई गईं मुंबई
भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद मुंबई ले जाया गया है। समाचार एजेंसी एएनआइ ने सांसद के कार्यालय के हवाले से बताया है कि प्रज्ञा को कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा।
भोपाल, एजेंसियां/जेएनएन। भोपाल से भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की सेहत एक बार फिर बिगड़ गई है। शनिवार को सांस लेने में तकलीफ होने की वजह से उन्हें विशेष विमान से मुंबई भेजा गया। मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल में उनको भर्ती कराया गया है। इससे पहले 19 फरवरी को संसद सत्र के दौरान भी उनकी सेहत बिगड़ी थी। तब उन्हें दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती किया गया था। जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार रात भी उनकी सेहत खराब हुई थी। इलाज के बाद वह बेहतर महसूस कर रही थीं, लेकिन शनिवार दोपहर को फिर से उनकी सेहत बिगड़ गई।
भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सांसद बनी साध्वी प्रज्ञा ने लोकसभा चुनाव में भोपाल सीट से अपनी किस्मत आजमाई थी। प्रज्ञा ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को शिकस्त दी थी। मालूम हो कि प्रज्ञा साल 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले की आरोपी हैं। इस मामले में प्रज्ञा के अलावा, एलटी कर्नल पुरोहित, चतुर्वेदी और कुलकर्णी, अजय रहीरकर, सेवानिवृत्त मेजर रमेश उपाध्याय और सुधाकर द्विवेदी भी आरोपी हैं।
उल्लेखनीय है पिछली सुनवाई में इन सात अभियुक्तों में से चार अदालत में उपस्थित हुए थे जबकि 19 दिसंबर को एनआईए की विशेष अदालत में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर (Pragya Singh Thakur), लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और सुधाकर चतुर्वेदी सहित तीन आरोपी पेश नहीं हुए थे। स्वास्थ्य संबंधी तकलीफों के कारण प्रज्ञा सिंह को उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था। अदालत ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत अन्य आरोपियों को सुनवाई के दौरान पेश होने का आदेश दिया है।
मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं। आरोपियों पर धारा 16 (आतंकवादी कार्य करना) और 18 (आतंकवादी कार्य करने की साजिश) यूएपीए और धारा 120 (बी) (आपराधिक साजिश), 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 324 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 153 (क) (दो धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत आरोप दर्ज किए गए हैं।