मध्य प्रदेश : चूड़ी कारोबारी की चार राज्यों में 225 बेनामी संपत्तियां अटैच, कर्मचारियों के नाम से खरीदी थी प्रॉपटी
भोपाल के चूड़ी व्यापारी और जमीन के कारोबार से जुड़े पीयूष गुप्ता की 225 बेनामी संपत्तियां आयकर विभाग ने अटैच की है। पिछले साल आयकर विभाग ने गुप्ता के यहां छापा मारा था। ये संपत्तियां मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र और गोवा में हैं।
भोपाल, जेएनएन। भोपाल के चूड़ी व्यापारी और जमीन के कारोबार से जुड़े पीयूष गुप्ता की 225 बेनामी संपत्तियां आयकर विभाग ने अटैच की है। पिछले साल आयकर विभाग ने गुप्ता के यहां छापा मारा था। ये संपत्तियां मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गोवा में हैं। बताया जा रहा है कि बेनामी संपत्ति से जुड़ा यह मध्य प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा मामला है। इन संपत्तियों का अनुमानित बाजार मूल्य 125 करोड़ रुपए से अधिक है।
कर्मचारियों के नाम से खरीदी संपत्तियां
अगस्त 2020 में विभाग ने गोल्डन कंपनी के मालिक पीयूष गुप्ता के यहां छापा मारा था। इस दौरान पता चला था कि गुप्ता ने कर्मचारियों के नाम से करोड़ों रुपए की संपत्ति खरीदी है। कर्मचारियों को इस बारे में जानकारी नहीं थी। यह भी कहा जा रहा है कि गुप्ता की कंपनी में सेवानिवृत्त कई अधिकारियों ने निवेश किया है।
इन जगहों पर बेनामी संपत्तियां
हालांकि ऐसे अधिकारियों के बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। विभाग के मुताबिक गुप्ता की ये 225 बेनामी संपत्तियां मुंबई के गोरेगांव, उत्तर प्रदेश के आगरा, गोवा और मध्य प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर हैं। बेनामी संपत्तियों में जो जमीनें मिलीं हैं, उनका कुल क्षेत्रफल 265 एकड़ है। इनमें 45 प्लॉट, दुकानें और फ्लैट शामिल हैं।
30 लोगों के नाम से खरीदी संपत्तियां
प्राप्त जानकारी के मुताबिक पीयूष गुप्ता ने ये संपत्तियां 30 लोगों के नाम से खरीदी हैं। इनमें बहुत से लोग गुप्ता के कर्मचारी हैं। इन कर्मचारियों को उनके नाम से संपत्ति होने की जानकारी नहीं थी। इसके अलावा रिश्तेदारों के नाम पर जमीनें खरीदने की जानकारी विभाग को मिली है। इन संपत्तियों का टैक्स जमा नहीं किया गया था।
तीन दर्जन से अधिक बैंक खातों का इस्तेमाल
भोपाल में सिविल लाइन, एमपी नगर, श्यामला हिल्स, सिग्नेचर रेसीडेंसी, बीडीए कॉलोनी सहित आसपास के 30 से 40 गांवों में गुप्ता की संपत्ति है। इन संपत्तियों के लेनदेन में आठ बैंकों के तीन दर्जन से अधिक बैंक खातों का उपयोग किया गया।