मध्य प्रदेश: 21 जिलों को किया गया ग्रीन जोन घोषित, इंदौर और भोपाल अभी भी रेड जोन में शामिल
रेड जोन में 9 जिले हैं जिनमें राजधानी भोपालवाणिज्यिक राजधानी इंदौर जबलपुर जैसे जिले शामिल हैं। इनमें लॉकडाउन अभी लागू रहेगा।
भोपाल, आइएएनएस। मध्य प्रदेश के 52 जिलों में से 24 जिलों को ग्रीन जोन में रखा गया है वहीं 19 जिले ओरेंज जोन में और राजधानी भोपाल समेत 9 जिले रेड जोन में रखे गए हैं। जिन जिलों में 21 दिनों के अंदर कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है उनको ग्रीन जोन में रखा गया है, वहीं जिनमें संक्रमितों का आंकड़ा 10 से कम है और पॉजीटिव मामलों की संख्या में कमी दर्ज की गई है उनको ओरेंज जोन में रखा गया है। इसके अलावा जहां कोरोना के पॉजीटिव मामलों में कमी दर्ज नहीं की गई है उन जिलों को रेड जोन में ही रखा है। हर हफ्ते जिलों की यह लिस्ट अपडेट की जाएगी।
रेड जोन में 9 जिले हैं, जिनमें राजधानी भोपाल,वाणिज्यिक राजधानी इंदौर, जबलपुर जैसे जिले शामिल हैं। इनमें लॉकडाउन अभी लागू रहेगा। इन जिलों के अलावा धार, पूर्वी निमार, बरवानी, देवास और ग्वालियर को रेड जोन में रखा गया है। ओरेंज जोन में- खरगोन, रायसेन, हौशंगाबाद, रतलाम, आगर मालवा, मंदसौर, सागर, शाहजापुर, छिंदवारा, अलीराजपुर, तिकगढ़, शाहडौल, शियोपुर, दिनदोरी, बुरहानपुर, हरदा, बेतुल, विदिशा और मोरेना शामिल हैं। ग्रीन जोन में- रेवा, अशोकनगर, राजगढ़, शिवपुरी, अन्नुपुर, बालाघाट, भिंड, छत्तरपुर, दामोह, दातिया, गुना, झबुआ, कातनी, मंडला, नर्सिंघपुर, नीमुछ, पन्ना, सतना, सेहोरे, सिओनी, सिधि, उमरिया, सिंगरौली और निवारी शामिल हैं।
कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा इंदौर में लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां शुक्रवार शाम तक 1,513 सकारात्मक मामलों की पुष्टि की जा चुकी है। अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम की विजिट के बाद, इंदौर ने वायरस के प्रसार की जांच करने के प्रयासों को तेज कर दिया है। चिकित्सा शिक्षा के प्रधान सचिव संजय शुक्ला ने स्वास्थ्य विभाग से कोरोना के अधिक से अधिक टेस्ट कराने को कहा है। शुक्ला ने समीक्षा बैठक में चिकित्सा बुनियादी ढांचे पर काम करने के लिए कहा ताकि भविष्य में हर तरह की स्थिति से निपटा जा सके।
सैंपल्स को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भेजा गया है ताकि पता लगाया जा सके कि बीमारी का घातक प्रसार क्यों हुआ। डॉक्टरों ने महसूस किया कि वायरस उत्परिवर्तित हो गया है और घातक रूप से अधिक वायरल हो गया है। 60 प्रतिशत से अधिक मामले स्पर्शोन्मुख (asymptomatic) थे। स्पर्शोन्मुख मरीजों में छींकने या खांसने कोरोना का कोई भी प्राथमिक लक्षण नहीं नजर नहीं आता है। 1,485 में से अस्सी फीसदी बीमारी का गंभीर प्रभाव नहीं दिखाई दिया। शहर में पाए जाने वाले रोगियों की औसत आयु लगभग 57 वर्ष है। उच्च जोखिम समूह अधिक कमजोर है जिनमें 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और बीमार शामिल हैं। सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जडिया के अनुसार, यदि मरीज किसी अन्य बीमारी से पीड़ित है, तो उसकी प्रतिरक्षा और कम हो जाती है।