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नायर ने पटना आईआईटी से तोड़ा नाता

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन [इसरो] के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर को अपने खिलाफ कार्रवाई संबंधी सरकारी आदेश की प्रति मिलने का इंतजार है। उन्होंने इस प्रति एवं एंट्रिक्स-देवास करार पर बी के चतुर्वेदी समिति की रिपोर्ट पाने के लिए सूचना के अधिकार [आरटीआई] कानून के तहत याचिका दायर की है।

By Edited By: Published: Sun, 29 Jan 2012 07:55 AM (IST)Updated: Sun, 29 Jan 2012 04:06 PM (IST)
नायर ने पटना आईआईटी से तोड़ा नाता

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन [इसरो] के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर को अपने खिलाफ कार्रवाई संबंधी सरकारी आदेश की प्रति मिलने का इंतजार है। उन्होंने इस प्रति एवं एंट्रिक्स-देवास करार पर बी के चतुर्वेदी समिति की रिपोर्ट पाने के लिए सूचना के अधिकार [आरटीआई] कानून के तहत याचिका दायर की है। इसके बाद नायर ने आईआईटी पटना के बार्ड आफ गवर्नर्स के अध्यक्ष पद छोड़ दिया है।

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प्रथम चंद्र अभियान के सूत्रधार नायर ने पूर्व सीवीसी प्रत्यूष सिन्हा की अध्यक्षता वाली टीम की रिपोर्ट की प्रति भी मांगी है। इसी टीम ने उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है। एंट्रिक्टस-देवास के विवादास्पद करार में भूमिका को लेकर केंद्र सरकार ने इसी माह नायर और तीन अन्य अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अभी या भविष्य में किसी भी सरकारी पद पर रहने पर रोक लगा दी है।

नायर ने पटना आईआईटी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष पद को छोड़ दिया है। वह शुक्रवार को इस सिलसिले में पटना में थे। नायर ने कहा कि मैं वहां विदाई का राम-राम कहने पटना गया था। सरकारी आदेश की अभी मुझे प्रति नहीं मिली है लेकिन जो भी बातें जनता के बीच आई हैं उसके बाद मैं पद पर बने रहना नहीं चाहता।

यह पूछने पर कि क्या वह सरकार के आदेश के खिलाफ अदालत जाने की योजना बना रहे है? नायर ने कहा कि सिन्हा की अगुवाई वाली टीम ने चतुर्वेदी समिति के निष्कर्षो के आधार पर कार्रवाई की संस्तुति की है। मैं पूरी तरह से अंधेरे में हूं। मैं तब तक कुछ नहीं कर सकता जब तक मुझे आरटीआई काननू के तहत कुछ सूचना नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि चतुर्वेदी समिति ने उन्हें अपना पक्ष रखने की इजाजत दी थी लेकिन सिन्हा समिति ने उन्हें केवल सवाल भेजे थे।

इसरो की व्यावसायिक कंपनी एंट्रिक्स कॉरपोरेशन और बेंगलूर स्थित देवास मल्टीमीडिया के बीच डिजिटल मल्टीमीडिया सेवाएं शुरू करने के लिए भविष्य में भेजे जाने वाले दो सैटेलाइटों के नब्बे फीसदी ट्रांसपोंडर देने का करार हुआ था। इसके लिए देवास को बारह वर्षो में महज तीस करोड़ डॉलर [करीब 1477 करोड़ रुपये] देना था।

2जी स्पेक्ट्रम घोटाला प्रकाश में आने के बाद इस करार को लेकर भी सवाल उठने लगे। पिछले वर्ष सरकार ने इस करार को रद कर दिया। सरकार के इस फैसले को देवास मल्टीमीडिया ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में चुनौती दी है।

इस बीच प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के प्रमुख प्रोफेसर सी एन आर राव ने नायर व तीन अन्य अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को कूड़े की तरह फेंक दिया गया। राव ने एंट्रिक्स-देवास विवाद पर प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणसामी के रुख की भी आलोचना की है।

राव ने कहा कि जिन लोगों ने देश की सेवा की है, लंबे समय तक इसरो की सेवा की है उन्हें आप कूड़े की तरह नहीं फेंक सकते। उनके साथ यही किया गया है। बेंगलूर स्थित जवाहर लाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च के कार्यकारी अध्यक्ष राव ने कहा कि उन लोगों ने राजनीति में और सार्वजनिक जीवन में भ्रष्ट लोगों जैसा व्यवहार नहीं किया। तब केवल वैज्ञानिकों को ही क्यों चुना गया?

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