जाड़े में फसल को पाले से बचाएगी मशीन, छह डिग्री सेल्सियस पर पारा पहुंचते ही मशीन हो जाएगी चालू
ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी मशीन बनाई है जो खेत के तापमान को छह डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं जाने देगी। जैसे ही पारा छह डिग्री सेल्सियस पर पहुंचेगा मशीन गर्म हवा के जरिये खेत का तापमान आठ डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा देगी।
अजय उपाध्याय, ग्वालियर। किसानों के लिए एक राहतभरी खबर है। सर्दी के मौसम में पड़ने वाले पाले से अब उनकी फसल खराब नहीं होगी। ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी मशीन बनाई है, जो खेत के तापमान को छह डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं जाने देगी। जैसे ही पारा छह डिग्री सेल्सियस पर पहुंचेगा, मशीन गर्म हवा के जरिये खेत का तापमान आठ डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा देगी। गौरतलब है कि ठंड के मौसम में तापमान चार डिग्री सेल्सियस या इससे नीचे होने पर ही पाला पड़ता है। अत्यधिक ठंड से फसल खराब हो जाती है। यह भी देर रात या अलसुबह होता है। मशीन के पेटेंट के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्ताव भेजा है। पेटेंट होने के बाद मशीन बाजार में आएगी।
खेत के उत्तर-पूर्व दिशा में लगेगी मशीन
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के मंदसौर केंद्र में तैयार यह मशीन एक समय में एक हेक्टेयर भूमि का तापमान एक जैसा बनाए रख सकती है। कृषि विज्ञानी डॉ. नितिन सोनी के साथ छह विज्ञानियों की टीम ने ढाई साल में इसे तैयार किया है। इनमें डॉ. कैलाश, डॉ. आलम खान, डॉ. धर्मेंद्र पाटीदार, डॉ. अजय हलधर, डॉ. रिया ठाकुर, डॉ. मनोज त्रिपाठी शामिल हैं।
मशीन की ये विशेषताएं
ठंडी हवा आते ही चालू हो जाएगी मशीन
मशीन स्वचालित है। मध्य प्रदेश के मौसम के हिसाब से इसे खेत पर उत्तर-पूर्व की दिशा में मेड़ पर लगाया जाएगा है। इस दिशा से आने वाली ठंडी हवा का तापमान जैसे ही छह डिग्री सेल्सियस पर आएगा है तो मशीन चालू हो जाएगी।
छह फीट ऊंचाई तक गर्म हवा
मशीन में पंखा लगा होता है जो छह फीट ऊंचाई तक गर्म हवा फेंकता है। मशीन धुआं भी फेंकती है। जिससे सामान्य फसल के साथ फल वाली फसल को भी पाले से बचाया जा सकता है।
बिजली या डीजल से चलेगी
मशीन को बिजली के साथ ही डीजल से भी चलाया जा सकता है। यह व्यवस्था भी रहेगी कि इसके लिए जरूरी बिजली खेत में ही सौर ऊर्जा से बनाई जा सके। एक अश्व शक्ति (एचपी) की मोटर लगी है। दो -तीन घंटे चलाने पर करीब एक यूनिट बिजली की खपत होगी।
50 से 60 हजार रुपये हो सकती है कीमत
मशीन का परीक्षण सफल रहा है। 2021 तक मशीन पेटेंट भी हो जाएगी। कीमत अभी तय नहीं है लेकिन 50 से 60 हजार रुपये से ज्यादा नहीं होगी, ताकि छोटे किसान भी इसे खरीद सकें।
ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानी डॉ. नितिन सोनी ने कहा कि मध्य प्रदेश में सर्दी के मौसम में रात दो से सुबह पांच के बीच औसतन आठ दिन पाला पड़ता है। इतने कम दिनों में भी पाले की वजह से 50 फीसद फसलें खराब हो जाती है। बड़े किसान तो आधुनिक तकनीक से प्राकृतिक आपदाओं से बचने का रास्ता तलाश लेते हैं लेकिन छोटे किसान लाचार हो जाते हैं। कम लागत की वजह से यह मशीन फायदेमंद साबित होगी। पेटेंट होते ही मशीन किसानों के बीच पहुंचाई जाएगी।