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चेन्नई में डॉक्टरों ने कोरोना मरीज के फेफड़े का किया प्रत्यारोपण, मिली नई जिंदगी

एक ब्रेन डेड ([जिसके मस्तिष्क ने काम करना बंद कर दिया हो लेकिन चिकित्सकीय रूप से जीवित हो)] व्यक्ति ने कोविड के मरीज को नई जिंदगी और एक महिला को नई उम्मीद दी है।

By Pooja SinghEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 09:52 AM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2020 09:52 AM (IST)
चेन्नई में डॉक्टरों ने कोरोना मरीज के फेफड़े का किया प्रत्यारोपण, मिली नई जिंदगी
चेन्नई में डॉक्टरों ने कोरोना मरीज के फेफड़े का किया प्रत्यारोपण, मिली नई जिंदगी

चेन्नई [एजेंसी)। एक ब्रेन डेड ([जिसके मस्तिष्क ने काम करना बंद कर दिया हो, लेकिन चिकित्सकीय रूप से जीवित हो)] व्यक्ति ने कोविड के मरीज को नई जिंदगी और एक महिला को नई उम्मीद दी है। इंट्रासेरेब्रल हेमरेज के चलते ब्रेन डेड घोषिषत किए गए व्यक्ति की पत्नी ने अपने पति का दिल, फेफ़़डा, लिवर और दोनों हाथ दान करने का फैसला किया। उसका फेफ़़डा चेन्नई के एक निजी अस्पताल एमजीएच हेल्थकेयर में कोरोना संक्रमित मरीज को प्रत्यारोपित किया गया। उस व्यक्ति के दोनों हाथ मुंबई की एक महिला को प्रत्यारोपित किए जाएंगे। 12 जनवरी, 2014 को घाटकोपर रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे में वह महिला अपने हाथ खो बैठी थी।

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एमजीएच हेल्थकेयर द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि मूल रूप से दिल्ली के निवासी मरीज का फेफ़़डा कोरोना संक्रमण के चलते बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका था। इसका एक छोटा सा हिस्सा ही काम कर रहा था। वेंटिलेटर पर रखे जाने के बावजूद उसकी हालत लगातार खराब हो रही थी। 20 जुलाई को उसे गाजियाबाद से एयरलिफ्ट कर अस्पताल लाया गया। एक महीने से अधिक समय तक उसे ईसीएमओ सपोर्ट पर रखा गया। अच्छे यंत्रों से लैस आइसीयू में भी ऐसे मरीजों की देखभाल मुश्किल काम है। मरीज की स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने फेफ़़डे के प्रत्यारोपण का फैसला किया। इसके बाद डॉ. केआर बालाकृष्णन के नेतृत्व में फेफ़़डे का प्रत्यारोपण किया गया। डॉक्टरों ने बताया कि मरीज का ईसीएमओ सपोर्ट हटा लिया गया है और उसकी हालत में सुधार हो रहा है।

बता दें कि देश इस वक्त कोरोना संकट से जूझ रहा है। तमिलनाडु देश में दूसरे नंबर पर संक्रमित राज्य है। इससे पहले महाराष्ट्र सबसे ज्यादा संक्रमित राज्य है।

कोविड-19 संक्रमित मरीज के फेफ़़डा प्रत्यारोपण का एशिया में यह पहला ज्ञात मामला है। इसके अलावा लॉकडाउन शुरू होने के बाद से दूसरी बार अस्पताल में फेफ़़डे का प्रत्यारोपण किया गया है।


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