कोरोना से निपटेंगे सस्ते वेंटिलेटर, ड्रोन, डिजिटल आले, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों ने किए इजाद
कोरोना से निपटने के लिए देश भर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइटी) ने कई अनूठे उपकरण और मशीनें तैयार की हैं। आइये जानते हैं इन उपकरणों की खूबियां...
नई दिल्ली, पीटीआइ। वैश्विक महामारी कोविड-19 से निपटने के लिए देश भर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइटी) ने कई अनूठे उपकरण और मशीनें तैयार की हैं। इन इजादों में सस्ते पोर्टेबल वेंटिलेटर, कम कीमत वाली कोविड-19 टेस्टिंग किट, सैनिटाइज करने के लिए विशेष रूप से बनाए गए ड्रोन, विशिष्ट डिजिटल स्टैथोस्कोप और अस्पतालों के लिए संक्रमण मुक्त कपड़े तैयार किए गए हैं। पिछले तीन महीने के लॉकडाउन के दौरान इस दिशा में आइआइटी ने युद्धस्तर पर काम किया। और फिर इन नई खोजों को स्टार्टअप के रूप में कुछ ही हफ्तों में बाजार में उतारा जा सकता है।
इजाद की नई टेस्ट किट
आइआइटी की देखरेख में शुरू हुए स्टार्टअप या प्रमुख संस्थानों ने पेटेंट अपने पास रखते हुए कंपनियों को लाइसेंस दिया है। इस दिशा में आइआइटी दिल्ली पहला ऐसा संस्थान है जिसे कोविड-19 के टेस्ट किट के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइसीएमआर) से मंजूरी मिली है। उसने बेंगलुरु की बायोटेक कंपनी निजी लैबोरेटरीज को गैर विशिष्ट ओपन लाइसेंस दिया है, ताकि इस टेस्ट को बाजार में उतारा जा सके। लेकिन यह किट 500 रुपये से ज्यादा कीमत की नहीं होगी।
नई किट से एक्यूरेट जांच
उक्त टेस्ट किट विशाखापत्तनम में आंध्र प्रदेश मेडटेक जोन में बनाई जा रही है। यह अगले दस दिनों में बाजार में आ जाएगी। आइआइटी दिल्ली के निदेशक वी.रामगोपाल के अनुसार कुछ बड़े नामों समेत करीब 40 से अधिक कंपनियां इन टेस्ट को बाजार में लाने में रुचि रखती हैं। हम कंपनियों को ओपन लाइसेंस जारी करेंगे। आइआइटी दिल्ली का कहना है कि कोरोना परीक्षण के मौजूदा तरीके जांच आधारित हैं। लेकिन जो टेस्टिंग किट आइआइटी ने तैयार की है वह जांच रहित तरीका है। इससे परीक्षण की लागत भी कम होती है और जांच की शुद्धता में भी कोई कमी नहीं आती है।
'संक्रमण रहित कपड़े' का दिल्ली-एनसीआर में परीक्षण
आइआइटी का एक अन्य अनूठा इजाद 'संक्रमण रहित कपड़ा' है। इसका शुरुआती परीक्षण एम्स में किया गया था। इस कपड़े को बनाने का मकसद अस्पतालों को संक्रमण मुक्त रखना है। इस अनूठे कपड़े का परीक्षण दिल्ली और एनसीआर के अस्पतालों में किया गया। इस कपड़े से अस्पतालों की बेडशीट, पर्दे और यूनिफार्म तैयार किए गए। इस कपड़े का उत्पादन स्टार्टअप कंपनी 'फैबियोसिस इनोवेशंस' कर रही है।
ऐसे होता है निर्माण
आइआइटी दिल्ली के प्रोफेसर सम्राट मुखोपाध्याय ने बताया कि हम सूती कपड़े के थान लेते हैं और उसे विशेष रूप से विकसित एक केमिकल से एक विशेष वातावरण में ट्रीट करते हैं। इस प्रक्रिया में उन्हीं मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है जो टेक्सटाइल इंडस्ट्री में पहले से मौजूद हैं। विशेष प्रक्रियाओं गुजारकर तैयार किए गए इस कपड़े में सशक्त एंटी-माइक्रोबायल खूबियां विकसित हो जाती हैं। यहां तक कि कपड़ा कई बार धोए जाने के बावजूद अपनी यह विशिष्ट खूबी नहीं खोता है। इस कपड़े को चादर, पर्दो आदि में बखूबी इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे मरीजों, डॉक्टरों और नर्सो की यूनिफार्म भी तैयार हो सकती है। यह कपड़ा पूरी तरह से नॉन-टॉक्सिक और सस्ता है।
आइआइटी बांबे ने बनाया डिजिटल स्टेथोस्कोप
इसीतरह आइआइटी बांबे ने कोरोना काल के लिए एक ऐसा अनूठा आला (स्टेथोस्कोप) तैयार किया है जिससे मरीज की दिल की धड़कन दूर से भी सुनी जा सकती है और उसे रिकार्ड भी किया जा सकता है। इससे स्वास्थ्य कर्मियों को संक्रमण का कम से कम खतरा होगा और इलाज में भी कोई बाधा नहीं आएगी। कोरोना वायरस के संक्रमण वाले मरीजों के इलाज के लिए यह डिजिटल आला पहले ही बाजार में आ चुका है।
ऐसे करता है काम
इसमें मरीज के सीने से आने वाली आवाज या उससे संबंधित डाटा डॉक्टर तक ब्लूटूथ के जरिये पहुंच जाता है। इससे रीडिंग लेने के लिए डॉक्टर को मरीज के नजदीक जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। आइआइटी से संबद्ध एक स्टॉर्टअप 'आयु डिवाइस' इस आले का उत्पादन कर रही है। अब तक देश के विभिन्न अस्पतालों में एक हजार स्टेथोस्कोप भेजे जा चुके हैं। यह उत्पाद अब कई मेडिकल दुकानों पर बिक्री के लिए उपलब्ध है।
आइआइटी कानपुर ने बनाया सस्ता वेंटिलेटर
आइआइटी कानपुर ने अपने दो छात्रों की मदद से आइसीआइसीआइ सिक्योरिटी के साथ मिलकर सस्ता वेंटिलेटर तैयार किया है। आइआइटी कानपुर के निदेशक अभय करंदिकर ने बताया कि यह जीवन रक्षक उपकरण जेब पर भारी नहीं होगा। आमतौर पर जो वेंटिलेटर चार लाख रुपये में मिलते हैं, यह केवल 70 हजार रुपये में ही उपलब्ध है। यह वेंटिलेटर अस्पतालों को संक्रमण मुक्त रखने के लिए एक सैनिटाइजर के रूप में भी काम करेगा। इसे बनाने में इस्तेमाल हुए सभी अव्यव भारत में उपलब्ध हैं, इसीलिए यह सस्ता है। उनकी इस साल इसके 30 हजार यूनिट बनाने की योजना है।
ड्रोन करता है दवा का छिड़काव, देता है दिशा-निर्देश
आइआइटी गुवाहाटी के स्टार्टअप 'मारुतड्रोनटेक' ने दो तरह के ड्रोन तैयार किया हैं। इनका इस्तेमाल पूरे राज्य में तेलंगाना सरकार कर रही है। संस्थान का दावा है कि यह ड्रोन परंपरागत तरीके से किए जाने वाले सैनिटाइजेशन से 50 गुना अधिक क्षेत्रों में सैनिटाइजेशन कर सकता है। यह ड्रोन सार्वजनिक स्थलों पर डिस्इंफेकटेंट्स का छिड़काव करता है। इसके अलावा एक निगरानी और चेतावनी देने वाला ड्रोन भी तैयार किया गया है। यह ड्रोन उच्च संक्रमण वाले सघन आबादी के इलाकों में कारगर होते हैं, जहां लाउडस्पीकर के जरिये लोगों को दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। इसके अलावा, आइआइटी गुवाहाटी ने अस्पतालों के लिए बांस का फर्नीचर बनाया है। इस विशिष्ट डिजाइन से 200 बेड एक दिन में बनाए जा सकते हैं। इन्हें मेकशिफ्ट अस्पतालों और स्टेडियम आदि में भी स्थापित किया जा सकता है।