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जून तक लाकडाउन से 5.5 लाख करोड़ के नुकसान की आशंका, टीकाकरण की गति बढ़ाकर हो सकता है बचाव

दूसरी लहर से प्रभावित 19 राज्यों में लागू लाकडाउन के जून तक जारी रहने से इन राज्यों की अर्थव्यवस्था को 5.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। एसबीआइ इकोरैप की ताजा रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Fri, 21 May 2021 08:15 PM (IST)Updated: Fri, 21 May 2021 08:15 PM (IST)
जून तक लाकडाउन से 5.5 लाख करोड़ के नुकसान की आशंका, टीकाकरण की गति बढ़ाकर हो सकता है बचाव
जून तक लाकडाउन से 5.5 लाख करोड़ के नुकसान की आशंका, टीकाकरण की गति बढ़ाकर हो सकता है बचाव

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना की दूसरी लहर से प्रभावित 19 राज्यों में लागू लाकडाउन के जून तक जारी रहने से इन राज्यों की अर्थव्यवस्था को 5.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। एसबीआइ इकोरैप की ताजा रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मई में बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स सालभर के निचले स्तर पर आ गया। 17 मई को समाप्त सप्ताह में इंडेक्स 62.6 रहा। पिछले साल देशव्यापी लाकडाउन के दौरान 25 मई को समाप्त सप्ताह में इंडेक्स 58.7 दर्ज किया गया था।

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इकोरैप की रिपोर्ट में कहा गया है कि जून से पाबंदियां खत्म होने की उम्मीद की जा रही है। बिजनेस इंडेक्स में गिरावट को देखते हुए चालू वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही की कारोबारी गतिविधियां पिछले साल की पहली तिमाही से कम रहने का अनुमान है। एसबीआइ इकोरैप की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित 19 राज्यों में टीकाकरण तेज होने से आने वाले समय में आर्थिक नुकसान से बचा जा सकता है।

अगर ये राज्य अपनी 50 फीसद आबादी को अपने खर्च से वैक्सीन दिलवाते हैं, तो भी इस मद में अधिकतम खर्च 3.7 लाख करोड़ रुपये होगा जो कि मात्र दो महीने में अनुमानित 5.5 लाख करोड़ के नुकसान से काफी कम है। 3.7 लाख करोड़ के इस खर्च का अनुमान 40 डालर प्रति डोज की कीमत के आधार पर लगाया गया है। एसबीआइ ने सरकार को यह भी सलाह दी है कि अधिक संक्रमित जिलों में प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण में तेजी लाने की जरूरत है।

जीएसटी संग्रह में 30 फीसद तक की गिरावट की आशंका

बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स में गिरावट को देखते हुए सरकार मई के जीएसटी संग्रह में अप्रैल के मुकाबले कम से कम 30 फीसद की गिरावट का अनुमान लगा रही है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, राजस्व संग्रह के सभी माध्यमों की समीक्षा के दौरान जीएसटी संग्रह में तेज गिरावट की आशंका जाहिर की गई। इस साल अप्रैल में जीएसटी संग्रह 1.41 लाख करोड़ रुपये था। मई में जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से कम रह सकता है। पिछले सात महीने से जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये के पार रह रहा है।


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