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मंगल जाने वाले नासा के राकेट पर भगवान वेंकटेश्वर का नाम, जानिए कैसे मिली सफलता

जुलाई 2020 में मंगल पर जाने वाले नासा के राकेट के रोवर में लगी चिप पर भगवान वेंकटेश्वर का नाम भी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 09:29 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 09:29 PM (IST)
मंगल जाने वाले नासा के राकेट पर भगवान वेंकटेश्वर का नाम, जानिए कैसे मिली सफलता
मंगल जाने वाले नासा के राकेट पर भगवान वेंकटेश्वर का नाम, जानिए कैसे मिली सफलता

 तिरुपति, प्रेट्र। जुलाई 2020 में मंगल पर जाने वाले नासा के राकेट के रोवर में लगी चिप पर भगवान वेंकटेश्वर का नाम भी है। यह जानकारी राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के पूर्व निदेशक और भगवान वेंकटेश्वर के अनन्य भक्त वी वेंकट रमना रेड्डी ने मंगलवार को दी।

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चला था अभियान

रेड्डी ने बताया कि नासा ने 'सेंड योर नेम टू मार्स' अभियान चलाया था। इसके तहत आम लोगों से नाम मांगे गए थे। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी की वेबसाइट पर नाम जमा करने की अंतिम तारीख मंगलवार को समाप्त हो गई। रेड्डी ने बताया कि उन्होंने भगवान वेंकटेश्वर का पवित्र नाम भेजा था और इसे स्वीकार कर लिया गया है। इस संबंध में नासा की तरफ से प्रभु के नाम का स्मारिका बोर्डिंग पास भी मिल गया है।

10 लाख नामों में भगवान वेंकटेश्वर का भी नाम

इस संबंध में नासा ने कहा है कि रोवर पर लगी चिप में चिपकाए गए 10 लाख नामों में से एक भगवान वेंकटेश्वर का नाम भी होगा। श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय में ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट के पूर्व प्रोफेसर रेड्डी ने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रबल समर्थक और भगवान वेंकटेश्वर का अनन्य भक्त हूं। मैं मंगल ग्रह के लिए भगवान वेंकटेश्वर का नाम भेजकर अति प्रसन्न हूं।'

बता दें कि नासा मार्स मिशन को जुलाई 2020 में लांच करेगा और इसके फरवरी 2021 में मंगल पर पहुंचने की उम्मीद है। रोवर वहां जीवन के संकेतों की खोज करने के साथ ही वहां से नमूने भी एकत्र करेगा।

परमाणु राकेट भेजने को मिली मंजूरी

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने मंगल ग्रह पर परमाण राकेट को भेजने की मंजूरी दे दी है। नासा अब इसकी तैयारी में जुटा है। इसकी योजना 60 के दशक से बनाई जा रही थी, लेकिन इसकी लागत ज्‍यादा होने के कारण इसे छोड़ दिया गया। अब वर्ष 2024 तक मंगल ग्रह पर परमाणु भेजने की जैयारी की जा रही है। भौतिकविद बिल एमरिक के नेतृत्‍व में अमेरिका के इंजीनियरों को परमाणु बिखंडन द्ववारा पहला रॉकेट इंजन का काम सौंपा गया है।


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