लॉकडाउन के पहले चरण की तुलना में थर्ड फेज में दस गुणा तेजी से बढ़ा मरीज और मौतों का आंकड़ा
भारत में लगे हर लॉकडाउन के बाद देश में कोरोना के मरीजों की संख्या में भी तेजी देखने को मिली है। इसकी एक वजह अधिक टेस्ट होना भी है।
नई दिल्ली। चीन में दिसंबर से शुरू हुए कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद भारत में 30 जनवरी 2020 को इसका पहला मामला सामने आया था। इसके बाद से ही सरकार लगातार इस पर काम कर रही है। भारत में कोरोना वायरस से संक्रमितों के आंकड़े इस बात की तसदीक करते हैं कि शुरुआत में यहां पर इसकी गति बेहद धीमी थी। लेकिन फिर अचानक ही इसमें तेजी दिखाई देने लगी। वर्तमान में भारत कोरोना संक्रमित देशों की संख्या में 11वें नंबर पर है। भारत में अब तक लॉकडाउन के तीन फेज पूरे हो चुके हैं। इसके बाद जो आंकड़े हमारे सामने आए हैं उनके मुताबिक थर्ड फेज में न सिर्फ कोरोना संक्रमितों की संख्या दो से तीन गुणा तेजी से बढ़ी बल्कि मौत के आंकड़ों भी इसी तेजी से बढ़े।
सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए पहले 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया, जिसमें उसको सफलता मिली। इसके दो ही दिन के बाद 24 मार्च 2020 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया में इसकी भयावहता को देखते हुए 25 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन का एलान किया था। लेकिन इस वक्त तक देश में कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या 657 तक जा पहुंची थी। इसकी शुरुआत केरल से हुई थी लेकिन बाद में धीरे-धीरे महाराष्ट्र देश में इसका बड़ा केंद्र बनता चला गया। पीएम मोदी ने इसमें देश की सभी गतिविधियों पर 21 दिनों के लिए रोक लगा था। उन्होंने कहा था कि जो जहां है वहीं रहे। अपने घरों से न निकलें और यदि दवा वगैरह के लिए निकलना ही पड़े तब भी एक दूसरे से दूरी बनाकर रखें और घर में बनाए मास्क से अपने मुंह को कवर करके जरूर रखें। ये लॉकडाउन 14 अप्रैल को खत्म होना था। लेकिन इस लॉकडाउन केखत्म होने तक देश में इनकी संख्या बढ़कर 11487 तक पहुंच गई थी। 21 दिनों के इस लॉकडाउन के दौरान देश में 10830 नए मामले सामने आए थे, जिसने सभी की चिंता को बढ़ा दिया था। इसका अर्थ है कि इस लॉकडाउन के दौरान औसतन हर रोज लगभग 515 मामले देश में आए। लॉकडाउन के इस चरण में कुल 381 मौतें हुई थीं।
केंद्र सरकार ने इसके बढ़ते आंकड़ों पर रोकथाम लगाने के लिए देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से उनके विचार जाने। इसमें लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाने पर सहमति बनी और इस तरह से देश में लॉकडाउन का दूसरा चरण 15 अप्रैल 2020 को शुरू हुआ जो 19 दिनों के लिए था। इस लॉकडाउन के लिए 3 मई की अंतिम समय सीमा तय की गई थी। लेकिन इस दौरान कोरोना संक्रमितों की संख्या में पहले से तीन गुणा तेजी देखने को मिली और देश में कुल मरीजों की संख्या 11487 से बढ़कर 42505 तक पहुंच गई। इसका सीधा सा अर्थ था कि 19 दिनों के लिए लगाए गए लॉकडाउन-2 में कोरोना के 31018 नए मामले सामने आए थे। इसका अर्थ है कि इस लॉकडाउन के दौरान औसतन हर रोज लगभग 1632 मामले देश में आए। इसका एक अर्थ ये भी है कि लॉकडाउन-1 की अपेक्षा इस दौरान तीन गुणा तेजी से मामले बढ़े। लॉकडाउन के इस चरण में कुल 969 मौतें हुई थीं।
पीएम मोदी ने इस चेन को रोकने के लिए एक बार फिर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की और इसको रोकने के लिए उनके विचार जाने। इसमें अधिकतर मुख्यमंत्रियों ने लॉकडाउन को बढ़ाने के साथ-साथ पटरी से उतर रही अर्थव्यवस्था को दोबारा रास्ते पर लाने के लिए उद्योगों को कुछ छूट दिए जाने पर सहमति भी बनी। लिहाजा इसके बाद लॉकडाउन-3 का आगाज हुआ। ये लॉकडाउन 4-17 मई के लिए था और 14 दिन के लिए इसको लगाया गया था। इस फेज में पहले से बनाए तीन जोन के अलावा कंटेनमेंट और बफर जोन भी बनाए गए। कुछ एहतियात और नियमों में परिवर्तन के साथ शुरू हुए इस लॉकडाउन के दौरान देश में 53193 नए मामले सामने आए और देश में कुल मामलों की संख्या 95698 तक जा पहुंची। इसका अर्थ है कि औसतन हर रोज लगभग 3800 मामले देश में आए। लॉकडाउन के इस चरण में कुल 1634 मौतें हुई थीं।
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