स्थानीय उपज को भी राशन में बांटने को मिलेगी प्राथमिकता, उपभोक्ताओं को मिलेगा अपनी पसंद का अनाज
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फिलहाल गेहूं व चावल के अलावा थोड़ी बहुत दलहन और तिलहन की खरीद हो जाती है। जबकि सरकार 22 प्रमुख फसलों के समर्थन मूल्य घोषित करती है। मोटे अनाज वाली फसलों की खरीद को लेकर लगाता आवाज उठती रही है।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। स्थानीय अनाज को राशन प्रणाली में बांटने की योजना को सफल बनाने के लिए गांव-गांव गोदाम बनाने की स्कीम को तेज कर दिया गया है। इससे स्थानीय किसानों को जहां उनकी उपज की सरकारी खरीद सुनिश्चित हो जाएगी, वहीं उपभोक्ताओं को राशन दुकानों से उनकी पसंद काअनाज मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फिलहाल गेहूं व चावल के अलावा थोड़ी बहुत दलहन और तिलहन की खरीद हो जाती है। जबकि सरकार 22 प्रमुख फसलों के समर्थन मूल्य घोषित करती है। मोटे अनाज वाली फसलों की खरीद को लेकर लगाता आवाज उठती रही है। राशन प्रणाली पर गेहूं व चावल के साथ मोटे अनाज के वितरण का भी प्रावधान है। लेकिन खरीद के साथ ऐसे अनाज के भंडारण का पुख्ता बंदोबस्त नहीं है। इसी कमी को पूरा करने के लिए सरकार ग्रामीण भंडारण सुविधा को बढ़ाने पर जोर दे रही है।
सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में अनाज भंडारण के लिए गोदाम बनाने की योजना को तेज करने पर सरकार का जोर है। लघु व सीमांत किसानों के हितों को ध्यान में रखकर ऐसे ग्रामीण गोदामों को बनाने की योजना शुरु की गई है। ग्रामीण गोदामों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के माध्यम से पूरा किया जाएगा।
गोदामों के निर्माण की योजना देश के 22 राज्यों में हो चुकी है चालू
अनाज भंडारण की जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार की प्राइवेट एंटरप्रन्योर्स गारंटी स्कीम के तहत गोदामों के निर्माण की योजना देश के 22 राज्यों में चालू हो चुकी है। जनवरी 2020 तक कुल 1.50 करोड़ टन क्षमता वाले गोदामों के टेंडर फाइनल हो चुके थे। जबकि 1.43 करोड़ टन की भंडारण क्षमता वाले गोदामों के निर्माण हो चुका है। 5.37 लाख टन के गोदाम निर्माणाधीन हैं।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन प्रणाली के लिए सालाना छह करोड़ टन से अधिक अनाज की जरूरत पड़ती है। इसके लिए देश के सभी क्षेत्रों में अनाज भंडारण की सुविधा की जरूरत है। इसके मद्देनजर इस तरह के गोदामों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए योजना शुरु की गई है। राशन प्रणाली में अनाज की स्थानीय उपलब्धता से अनावश्यक ढुलाई का खर्च बचाने में मदद मिलेगी। स्थानीय स्तर पर अनाज की सरकारी खरीद होने से किसानों को उनकी उपज के अच्छे मूल्य भी प्राप्त होंगे।
सबसे ज्यादा जरूरत पहाड़ी राज्यों के सुदूर वाले क्षेत्रों में पड़ेगी
खाद्य मंत्रालय की संसदीय समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि भविष्य में ऐसे गोदामों की सबसे ज्यादा जरूरत पहाड़ी राज्यों के साथ सुदूर वाले क्षेत्रों में पड़ेगी। इससे इन क्षेत्रों के छोटे किसानों को उनकी स्थानीय उपज की अच्छी कीमत मिलेगी। उसी अनाज से स्थानीय उपभोक्ताओं की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा। क्योंकि स्थानीय अनाज के स्वाद को वहां के लोग ज्यादा पसंद करेंगे। अनाज की डिसेंट्र्लाइज्ड खरीद को प्रोत्साहित करने से यह आसान हो जाएगा।
केंद्र सरकार ने इस तरह की खरीद को 17 राज्यों के सहयोग से शुरु किया है, जिनमें बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, तमिलनाडु, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और पंजाब प्रमुख हैं। इसमें राज्य के किसानों की उपज और राशन प्रणाली की मांग के हिसाब से अनाज की खरीद की जा रही है। इसके लिए ग्राम पंचायत स्तर पर गोदाम बनाने की जरूरत है।