Move to Jagran APP

प्रोजेक्ट टाइगर की तरह अब शेरों और डाल्फिन के संरक्षण के लिए भी शुरू होगी मुहिम

पर्यावरण मंत्रालय ने इन दो नए प्रोजेक्ट को शुरू करने की योजना प्रोजेक्ट टाइगर को मिली सफलता के बाद बनायी है। जिसके तहत देश में बाघों के कुनबे में भारी बढ़ोत्तरी हुई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 15 Aug 2020 12:37 PM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 12:37 PM (IST)
प्रोजेक्ट टाइगर की तरह अब शेरों और डाल्फिन के संरक्षण के लिए भी शुरू होगी मुहिम
प्रोजेक्ट टाइगर की तरह अब शेरों और डाल्फिन के संरक्षण के लिए भी शुरू होगी मुहिम

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। प्रोजेक्ट टाइगर को मिली अभूतपूर्व सफलता के बाद देश में अब बब्बर शेरों और डाल्फिन के संरक्षण को लेकर भी दो अलग-अलग प्रोजेक्ट शुरू होंगे। प्रोजेक्ट डाल्फिन के तहत नदियों और समुद्र दोनों ही जगहों पर मिलने वाली डाल्फिन को संरक्षित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को लाल किले की प्राचीर से इसका एलान किया है। ताजा आंकलन के मुताबिक देश की अलग-अलग नदियों में करीब 37 सौ डाल्फिन पायी जाती है। इन्हें गंगेटिक डाल्फिन के नाम भी जाना जाता है। 

loksabha election banner

पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से किया ऐलान

खास बात यह है कि पीएम मोदी के इस एलान से पहले ही पर्यावरण मंत्रालय इसकी तैयारियों में जुटा हुआ है। राज्यों से इसे लेकर पूरा ब्यौरा गया है। फिलहाल देश के जिन राज्यों की या वहां से होकर गुजरने वाली नदियों में गंगेटिक डाल्फिन पायी जाती है, उनमें असम, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल है। इस प्रोजेक्ट के तहत देश में अगले दस सालों तक डाल्फिन के संरक्षण को लेकर अभियान चलेगा। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक डाल्फिन प्रोजेक्ट को जल्द ही लांच किया जाएगा। 

पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से किया ऐलान

इस तरह प्रोजेक्ट लायन की भी शुरूआत होगा। इन्हें एशियाटिक लायन भी कहा जाता है। इसके तहत शेरों की मौजूदगी वाले क्षेत्रों का विस्तार सहित बीमारियों से बचाने के लिए शोध पर जोर दिया जाएगा। फिलहाल देश में अभी सिर्फ गुजरात के गिर अभयारण्य में ही शेर पाए जाते है। हालांकि एक प्रोजेक्ट के तहत इन्हें गिर के अलावा भी कुछ स्थानों पर रखने की योजना बनी थी। इनमें मध्य प्रदेश का कूनो-पालपुर अभयारण्य भी है। इसे लेकर इस अभयारण्य के आसपास के दर्जनों गांवों को शिफ्ट भी किया गया, लेकिन बाद में गुजरात का शेरों को देने से इंकार के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। फिलहाल यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। 

प्रोजेक्ट टाइगर को मिली अभूतपूर्व सफलता 

पर्यावरण मंत्रालय ने इन दो नए प्रोजेक्ट को शुरू करने की योजना प्रोजेक्ट टाइगर को मिली अभूतपूर्व सफलता के बाद बनायी है। जिसके तहत देश में बाघों के कुनबे में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। मौजूदा समय में यह संख्या करीब तीन हजार के आसपास है। जबकि 2006 में इनकी संख्या सिर्फ 14 सौ ही थी। मंत्रालय का मानना है कि शेरों और डाल्फिन के लिए भी यदि इसी तरह फोकस होकर अभियान चलाया गया, तो इनका भी संरक्षण होगा। यहां यह बताना भी ठीक रहेगा, देश मे इसके साथ चीतो को भी फिर से बसाने की तैयारी चल रही है। जो फिलहाल देश से पूरी तरह खत्म हो चुके है। सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में एक कमेटी इसे लेकर तेजी से काम कर रही है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.