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भिलाई में बनेगी सेना के लिए सबसे हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट, क्‍वालिटी बेहतर होने के साथ कीमत भी 40 फीसद कम

पूर्वी लद्दाख में चीन से जारी तनाव के बीच केंद्र सरकार ने सबसे हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने के लिए भिलाई की एक निजी कंपनी के साथ अनुबंध किया है। भिलाई में बनी 11 किलो की जैकेट गुणवत्ता में बेहतर होने के साथ कीमत में भी 40 फीसद सस्ती होगी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 08:40 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 07:26 AM (IST)
भिलाई में बनेगी सेना के लिए सबसे हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट, क्‍वालिटी बेहतर होने के साथ कीमत भी 40 फीसद कम
केंद्र ने सबसे हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने के लिए भिलाई की एक निजी कंपनी के साथ अनुबंध किया है।

टी. सूर्याराव, भिलाई। देश के लिए सबसे मजबूत लोहा बनाने वाले भिलाई शहर का नाम सैनिकों के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट के निर्माण से भी जुड़ने जा रहा है। केंद्र सरकार ने सबसे हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने के लिए यहां की एक निजी कंपनी के साथ अनुबंध किया है। मौजूदा वक्‍त में सेना में इस्‍तेमाल की जा रही बुलेट प्रूफ जैकेट 17 किलो वजनी है। प्राप्‍त जानकारी के मुताबिक, अब भिलाई में बनी 11 किलो की जैकेट गुणवत्ता में बेहतर होने के साथ कीमत में भी 40 फीसद सस्ती होगी।

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सेना रखेगी उत्‍पादन पर निगाह

बताया जाता है कि सरकार और सेना के विशेषज्ञ इस बुलेट प्रूफ जैकेट के उत्पादन पर नजर रखेंगे। मौजूदा वक्‍त में देश के सैनिक जिस तरह की बुलेट प्रूफ जैकेट पहनते हैं उनमें से ज्यादातर का निर्माण कानपुर की एक निजी कंपनी करती है। यही नहीं इजराइल, इंग्लैंड, फ्रांस और ग्रीस से भी सेना के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट मंगाए जाते हैं। चीन से जारी तनाव के बीच प्रधानमंत्री मोदी के आत्‍मनिर्भर भारत के नारे के तहत चीन से आयात बंद किया जा चुका है।

सिलिकान कार्बाइड का होगा इस्तेमाल

भिलाई में बनने वाली बुलेट प्रूफ जैकेट में सिलिकान कार्बाइड का उपयोग किया जाएगा। यह स्टील से हल्का और उससे कई गुना अधिक मजबूत होता है। इसके उपयोग से सैनिकों के लिए जोखिम और कम हो जाएगी। मौजूदा वक्‍त में सरकार 32 से 40 हजार रुपए की दर से बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदती है। भिलाई में बनी की जैकेट करीब 40 फीसद कम कीमत की होगी और इसकी आपूर्ति केवल भारत सरकार को ही सुनिश्चित की जाएगी।

डीआरडीओ ने दी निर्माण की तकनीक

इस निजी कंपनी को करीब साढ़े तीन साल के प्रयास के बाद उत्पादन का लाइसेंस मिला है। जैकेट निर्माण की तकनीक डिफेंस रिसर्च डेवलप आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) से ली गई है। कंपनी साल में एक लाख से अधिक जैकेट की आपूर्ति करेगी। कंपनी के संचालक एस. सुब्रमण्यम ने बताया कि लाइसेंस मिलते ही पांडिचेरी और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने अपने यहां उत्पादन इकाइयां लगाने का न्‍यौता दिया लेकिन वह भिलाई के नंदिनी में 54 एकड़ में उत्पादन इकाई स्थापित कर रहे हैं। 


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