कांगो में तैनात लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी की मौत, साथी को बचाने में गई जान
संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन के तहत कांगो में मिलिट्री स्टॉफ ऑफिसर के रूप में तैनात भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी की झील में डूबने से मौत हो गई।
किन्शाशा, जेएनएन। संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन के तहत डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) में मिलिट्री स्टॉफ ऑफिसर के रूप में तैनात भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी की झील में डूबने से मौत हो गई। वे रविवार (8 सितंबर) को यहां की लेक कीवु झील में कयाकिंग करने गए थे।
शांति मिशन की ओर से बताया गया कि उनका सहयोगी डूब रहा था और उसे बचाने में गौरव की जान चली गई। उनका शव छह दिनों बाद मिला। लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी शनिवार दोपहर से लापता थे। उसके बाद तलाशी अभियान शुरू किया गया था।
गौरव के समर्पण भावना की तारीफ
डीआरसी में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय को मोनुस्को के नाम से जाना जाता है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के डिप्टी स्पेशल रिप्रजेंटेटिव फ्रैंकोइस ग्रिगनोन ने लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी की समर्पण भावना की तारीफ की। उन्होंने कहा कि गौरव ने संयुक्त राष्ट्र के संदेश को कांगो के पीड़ित परिवारों तक पहुंचाने का काम किया। मिशन के तहत मोनुस्को में फिलहाल 2,613 भारतीय सैनिक सेवाएं दे रहे हैं।
लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी को आगामी 16 सितंबर को भारत वापस आना था। वापस आने पर अगले कुछ दिनों में भारत में अपने रेजिमेंट में शामिल होने वाले थे।
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सबसे गहरी झील है कीवु
ज्ञात हो कि कांगो में रवांडा के साथ लगती सीमा पर एक झील है जिसका नाम 'कीवू'है, जो विश्व की 10 सबसे गहरी झीलों में से एक है। बताया जाता है कि कि इस झील की गहराई लगभग 400 मीटर तक है और इस झील के तल से मीथेन गैस निकलती रहती है।
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