गिरफ्तार हुर्रियत नेताओं का होगा लाई डिटेक्टर टेस्ट
एनआइए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हुर्रियत को पाकिस्तान से आने वाले आतंकी फंडिंग के रास्तों और उनके बंटवारे के बारे में सारी जानकारी निकालना जरूरी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आतंकी फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार हुर्रियत नेताओं से झूठ पकड़ने वाली मशीन पर पूछताछ (लाई डिटेक्टर टेस्ट) होगी। एनआइए के अनुसार गिरफ्तार सातों हुर्रियत नेता सबूतों को झुठलाने की कोशिश कर रहे हैं और पाकिस्तान से आने वाली आतंकी फंडिंग के स्त्रोतों और उसके बंटवारे में सच नहीं बता रहे हैं। ऐसे में सच्चाई जानने का एक ही तरीका बचा है कि उनका लाई डिटेक्टर टेस्ट कराया जाए। गिरफ्तार हुर्रियत नेता इस समय 10 दिनों के लिए एनआइए की हिरासत में हैं।
एनआइए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हुर्रियत को पाकिस्तान से आने वाले आतंकी फंडिंग के रास्तों और उनके बंटवारे के बारे में सारी जानकारी निकालना जरूरी है। इससे घाटी में हिंसा फैलाने के पाकिस्तानी साजिश का पूरा पर्दाफाश हो सकेगा। गिरफ्तार हुर्रियत नेताओं को पाकिस्तान से फंड मिलने के बारे में सीमा पार से व्यापार करने वाले व्यापारियों ने एनआइए को जानकारी दी है। इसके साथ ही इन नेताओं से फंड पाने वाले पत्थरबाजों की भी पहचान कर ली गई है। लगभग 30 व्यापारियों और पत्थरबाजों को फिर से पूछताछ के लिए समन भेज दिया गया है।
लेकिन एनआइए के लिए यह पता लगाना जरूरी है कि हुर्रियत नेता कितना झूठ और कितना सच बोल रहे हैं। इसका पता लगाने का एकमात्र तरीका उनका लाई डिटेक्टर टेस्ट कराना है। लाई डिटेक्टर टेस्ट के सहारे एनआइए हुर्रियत नेताओं का झूठ अदालत में साबित कर सकेगी। हुर्रियत नेताओं के यहां मारे गए छापे के दौरान एनआइए को उनके ठिकानों से चिट्ठियां मिली हैं, जिनमें आतंकी पैसों की मांग कर रहे हैं। लेकिन हुर्रियत नेताओं का कहना था कि चिट्ठी मिलने के बावजूद उन्होंने आतंकियों तक पैसा नहीं पहुंचाया था। इसके साथ ही हुर्रियत नेता पत्थरबाजों को पैसा देने से भी इनकार कर रहे हैं।
एनआइए ने 48 ऐसे पत्थरबाजों की पहचान कर ली है, जो पत्थरबाजी की अधिकांश जगहों पर उपस्थित होते थे। उनके मोबाइल के लोकेशन से यह साबित हो गया है। एनआइए के पास इसके भी पुख्ता सबूत हैं कि ये पत्थरबाज हुर्रियत नेताओं के साथ लगातार संपर्क में थे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि घाटी में हिंसा फैलाने के पैटर्न का पता चल गया है, अब जरूरत इसमें शामिल लोगों के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाने की है, ताकि आरोपों को अदालत में साबित किया जा सके।
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