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यहां चलती है ईश्वरीय सत्ता: हनुमान संभालते हैं अध्यक्ष का पद, राम हैं संरक्षक

यहां 200 फीट की ऊंचाई पर 51 फीट ऊंची हनुमानजी की विशाल मूर्ति है। उनके कंधे पर राम-लक्ष्मण हैं।

By Digpal SinghEdited By: Published: Sat, 31 Mar 2018 12:03 PM (IST)Updated: Sat, 31 Mar 2018 12:10 PM (IST)
यहां चलती है ईश्वरीय सत्ता: हनुमान संभालते हैं अध्यक्ष का पद, राम हैं संरक्षक
यहां चलती है ईश्वरीय सत्ता: हनुमान संभालते हैं अध्यक्ष का पद, राम हैं संरक्षक

इंदौर/मंदसौर, [जागरण स्पेशल]। मध्यप्रदेश के इंदौर के पूर्वी क्षेत्र में स्थित आस्था केंद्र निरालाधाम कई वजह से निराला है। अन्य मंदिरों की तरह यहां भी 7 पदाधिकारी हैं और 11 सदस्यीय कार्यकारिणी समिति है, लेकिन कोई मनुष्य नहीं है। हर जिम्मेदारी किसी न किसी देवी-देवता के पास है। अध्यक्ष की जिम्मेदारी अंजनी पुत्र हनुमान और संरक्षक की भूमिका कौशल्यानंदन भगवान श्रीराम संभालते हैं। इस तरह 11 हजार वर्गफीट में बने निरालाधाम में ईश्वरीय सत्ता चलती है। मंदिर में प्रवेश करने के लिए भक्तों को प्रसाद और चढ़ावा नहीं लाना पड़ता, बल्कि 108 बार राम नाम लिखने की शर्त है। रामनाम लिखने के लिए विशेष कार्ड दिया जाता है, जिसमें 108 बॉक्स बने हैं। इन्हीं में राम नाम लिखना होता है।

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अन्य पदाधिकारियों में सचिव भोलेनाथ, कोषाध्यक्ष कुबेर, सुरक्षा अधिकारी यमराज, लेखा-जोखा अधिकारी चित्रगुप्त, वास्तुविद् भगवान विश्वकर्मा हैं। कार्यकारिणी सदस्य भगवान दत्तात्रेय, लक्ष्मीनारायण, भरत, शत्रुघ्न, पार्वती, माता काली, लक्ष्मण, पार्श्वनाथ, मां दुर्गा, मां अन्नपूर्णा, भगवान सत्यनारायण हैं। मंदिर का निर्माण 1990 में कनाड़िया रोड स्थित वैभव नगर में शुरू हुआ जो आज भी जारी है। संचालक प्रकाशचंद वागरेचा की आस्था है कि यहां जो भी कार्य हो रहा है वह हनुमानजी करा रहे हैं।

200 फीट की ऊंचाई पर हैं 51 फीट के बजरंगबली
200 फीट की ऊंचाई पर 51 फीट ऊंची हनुमानजी की विशाल मूर्ति है। उनके कंधे पर राम-लक्ष्मण हैं। मंदिर के हर कोने में राम नाम लिखा है। चौबीस घंटे राम धुन बजती है। यहां न कोई आयोजन होता है और न ही कोई प्रतिष्ठा महोत्सव। मंदिर में रावण, कुंभकर्ण, मेघनाथ, विभीषण, कैकेयी, मंथरा, शूर्पणखा की भी मूर्तियां हैं। सबकी पूजा होती है। स्थानीय लोगों के मुताबिक रामायण का प्रत्येक पात्र पूजनीय है।

तलाई वाले बालाजी भी हैं खास
मंदसौर शहर के मध्य में विराजे श्री तलाई वाले बालाजी। देश-विदेश के लाखों भक्तों की अटूट आस्था के प्रतीक। सात सौ साल पुराने इस मंदिर में चोला चढ़ाने के लिए लंबी प्रतीक्षा है। अगर आप यहां मंगलवार को चोला चढ़ाना चाहते हैं तो 26 साल का इंतजार करना पड़ेगा। मतलब आज की बुकिंग पर मई 2044 में नंबर आएगा। अगर शनिवार चुनते हैं तो भी जनवरी 2039 तक रुकना पड़ेगा। सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार व रविवार को चोला चढ़ाने की इच्छा रखने वालों को भी जुलाई 2025 तक तो प्रतीक्षा करनी ही पड़ेगी। अर्थात शेष दिनों की प्रतीक्षा सूची भी कम से कम सात साल है।

ओबामा के लिए दो बार हो चुका है हवन
अमेरिका में बराक ओबामा दोनों बार जब राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने थे तब भी उनके भारतवंशी समर्थक ने अपने मंदसौर निवासी रिश्तेदार की मदद से यहां हवन कराए थे। इसके अलावा परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के श्री रामानुजजी महाराज भी यहां के भक्त हैं और हर साल हनुमान जयंती पर वे मंदिर में ही रहते हैं।

वटवृक्ष के नीचे रखी थी प्रतिमा
श्री तलाई वाले मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष धीरेंद्र त्रिवेदी ने बताया कि प्रतिमा लगभग 700 वर्ष पुरानी है और प्रारंभ में वटवृक्ष के नीचे स्थापित थी। उस समय यह स्थान शहर से दूर सूबा साहब (कलेक्टर) बंगला कहलाता है। आज भी इसे पुरानी सुबात कहा जाता है। मंदिर के पास एक तलाई थी, इसके कारण ही मंदिर का नाम तलाई वाले बालाजी हो गया है। बाद में यहां मंदिर का निर्माण हुआ और अभी इसका नवनिर्माण चल रहा है। कहा जाता है कि प्रतिमा की स्थापना अत्यंत सिद्ध परमहंस संत द्वारा की गई थी।

- इंदौर से रामकृष्ण मुले के साथ मंदसौर से आलोक शर्मा


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